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Monday, July 14, 2025

बच्चे भी हो रहे हैं डायबिटीज के शिकार, CBSE ने लिया सख्त फैसला, स्कूल में बनेगा शुगर बोर्ड

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Sugar Board in School: बच्चों में तेजी से डायबिटीज की बीमारी होने लगी है. इसलिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन ने सभी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे वहां शुगर बोर्ड बनाएं.

सीबीएसई शुगर बोर्ड.

हाइलाइट्स

  • बच्चों में बढ़ती डायबिटीज को देखते हुए CBSE का सख्त कदम.
  • सभी स्कूलों में शुगर बोर्ड लगाने का निर्देश दिया गया.
  • शुगर बोर्ड पर हेल्दी खाने की जानकारी दी जाएगी.

Sugar Board in CBSE School: बच्चों में बढ़ती टाइप-2 डायबिटीज और मोटापे की समस्या को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड CBSE ने अपने सभी संबद्ध स्कूलों को सख्त निर्देश जारी किया है. बोर्ड ने स्कूलों से कहा है कि वे अपने परिसरों में शुगर बोर्ड बनाएं, जहां बच्चों को अधिक चीनी सेवन से होने वाले खतरों के बारे में स्पष्ट जानकारी दी जाए.यानी इस शुगर बोर्ड में संकेतों से यह लिखा होगा कि इस फूड को खाने से इतनी शुगर मिलेगी जो डायबिटीज और मोटापा के लिए जोखिम हो सकता है. सीबीएसई का यह कदम राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग-NCPCR की सिफारिश के बाद उठाया गया है, जिसमें कहा गया था कि स्कूलों में बच्चों को जंक फूड और मीठे पेय पदार्थों से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है.

रिपोर्टों के अनुसार पिछले एक दशक में बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है जो पहले केवल वयस्कों में देखी जाती थी. इस स्थिति का मुख्य कारण स्कूलों में आसानी से मिलने वाले अधिक शुगर वाले स्नैक्स, कोल्ड ड्रिंक्स और प्रोसेस्ड फूड को माना जा रहा है. एक्सपर्ट के मुताबिक, बच्चों में यह आदत न केवल उनकी सेहत बल्कि पढ़ाई और मानसिक विकास पर भी गहरा असर डाल रही है.

शुगर बोर्ड में हेल्दी खाने की जानकारी
सीबीएसई ने सभी स्कूलों से कहा है कि वे स्कूल में ऐसी जगह शुगर बोर्ड लगाएं, जहां छात्र-छात्राएं आसानी से पढ़ सकें कि किन खाद्य पदार्थों में कितनी शुगर होती है और यह उनके स्वास्थ्य पर कैसे असर डालती है. बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि इन बोर्डों पर रोजाना शुगर की अनुशंसित मात्रा, सामान्य तौर पर खाए जाने वाले खाद्य और पेय पदार्थों में चीनी की मात्रा, अधिक शुगर सेवन से होने वाले रोग जैसे मोटापा, दांतों की समस्याएं और डायबिटीज की जानकारी होनी चाहिए. साथ ही इन बोर्ड्स पर हेल्दी डाइट विकल्प भी बताए जाएं ताकि बच्चे बेहतर विकल्प चुनने की ओर प्रेरित हों. सीबीएसई ने स्कूलों से यह भी कहा है कि वे नियमित अंतराल पर छात्रों के लिए जागरुकता सेमिनार और वर्कशॉप आयोजित करें, जिसमें उन्हें खानपान की सही आदतों के बारे में जानकारी दी जाए. स्कूलों को 15 जुलाई से पहले इन गतिविधियों की रिपोर्ट और फोटो बोर्ड को भेजने के लिए भी कहा गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल स्कूल कैंटीन में मिलने वाले जंक फूड की उपलब्धता पर भी अंकुश लगाएगी और बच्चों को सही खानपान की ओर मोड़ेगी.

कैंटीन मैन्यू में बदलाव जरूरी
एक्सपर्ट का कहना है कि सीबीएसई का यह फैसला समय की मांग है. विश्व स्वास्थ्य संगठन और विभिन्न रिपोर्टों में यह सामने आया है कि 4 से 10 साल के बच्चे अपनी रोजाना की कुल कैलोरी का 13 प्रतिशत और 11 से 18 साल के बच्चे 15 प्रतिशत तक शुगर से प्राप्त कर रहे हैं जबकि यह मात्रा 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए. ऐसे में यह पहल स्कूल स्तर पर बच्चों की जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव ला सकती है.एनसीपीसीआर की चिंता यह भी रही है कि गरीब और वंचित तबके के बच्चे, जिनकी पहुंच स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित होती है, इस समस्या के सबसे बड़े शिकार बन सकते हैं. सीबीएसई द्वारा उठाया गया यह कदम स्कूली शिक्षा को स्वास्थ्य शिक्षा से जोड़ने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है. विशेषज्ञ यह भी सुझाव दे रहे हैं कि इस पहल के साथ ही स्कूलों को अपने कैंटीन मेन्यू में बदलाव करना चाहिए और हेल्दी विकल्पों को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि बच्चों को व्यवहारिक रूप से भी बेहतर खानपान का अनुभव हो. बच्चों में अगर कम उम्र से ही हेल्दी खाने की आदतें विकसित की जाएं, तो भविष्य में होने वाली कई गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है. सीबीएसई का यह आदेश न सिर्फ स्कूलों के लिए दिशा-निर्देश है बल्कि यह अभिभावकों और समाज के लिए भी एक चेतावनी है कि बच्चों के खानपान को अब हल्के में लेना बंद करना होगा.

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LAKSHMI NARAYAN

Excelled with colors in media industry, enriched more than 16 years of professional experience. Lakshmi Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. he professed his contribution i…और पढ़ें

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