हल्द्वानी. हरी-भरी दूर्वा घास के मखमली सौन्दर्य को देखकर दिल प्रसन्नचित्त हो जाता है. इस घास को पूज़ा-पाठ में खासतौर से चढ़ाया जाता है, जिसका अपना आध्यात्मिक महत्व तो है ही, वहीं सेहत के लिहाज से भी यह घास बहुत ही फायदेमंद मानी जाती है. दूर्वा घास का उपयोग भगवान गणेश जी की पूजा में विशेष रूप से किया जाता है. आयुर्वेद में भी इसका इस्तेमाल एक शक्तिशाली जड़ी-बूटी के रूप में किया जाता है. दूर्वा घास कई पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर होती है. यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने से लेकर पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने तक में फायदेमंद मानी जाती है.
त्वचा संबंधी समस्याओं को करता है ठीक
काया आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक प्रोफेसर डॉ विनय खुल्लर ने बताया कि दूर्वा घास की तासीर ठंडी होती है. इसका स्वाद कसैला और हल्का मीठा होता है. शरीर के बाहर और शरीर के अंदर दोनों ही समस्याओं के लिए यह कारगर औषधि है. दूर्वा घास में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं. यह त्वचा से जुड़ी कई तरह की समस्याएं जैसे- खुजली, जलन और रैशेज आदि को दूर करने में मदद करते है. इसका उपयोग एक्जिमा, सोरायसिस और फंगल संक्रमण के इलाज के लिए भी बहुत फायदेमंद है.
इन बीमारियों में भी है लाभदायक
– दूब में ग्लाइसेमिक की मात्रा अच्छी होती है, इसलिए डायबिटीक पेशेंट्स के लिए इसका सेवन करना लाभदायक है.
– दूब के रस को हरा रक्त कहा जाता है क्योंकि इसे पीने से एनीमिया की समस्या को ठीक किया जा सकता है.
– दूब ब्लड को साफ करके और रेड ब्लड सेल्स को बढ़ाने में मदद करती है, जिसके कारण हीमोगलोबिन का लेवल बढ़ता है.
– सुबह नंगे पांव हरी दूब घास पर चलने से माइग्रेन का दर्द दूर होता है.
– दूर्वा घास के नियमित सेवन से पेट संबंधी बीमारियों की संभावना कम हो जाती है और साथ ही इससे डाइजेशन भी सही रहता है.
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FIRST PUBLISHED : November 5, 2024, 12:44 IST
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