निर्मल कुमार राजपूत/मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित राजकीय फल संरक्षण केंद्र में लोग मुरब्बा बनाने की विधि को सीख रहे हैं. यहां कई प्रकार के मुरब्बे बनाना लोगों को सिखाया जा रहा है. इन दिनों एक खास मुरब्बा लोगों को बेहद पसंद आ रहा है. आमतौर पर लोग आंवले का मुरब्बा पसंद करते हैं लेकिन, यहां लोगों को आंवले का नहीं बल्कि बेल का मुरब्बा है. ये जितना खाने में स्वादिष्ट है उतना ही रोगों के लिए रामबाण भी साबित हो रहा है.
बाजार में होती है बेल के मुरब्बे की मांग
आमतौर पर लोग आंवले और सेब का मुरब्बा खाना पसंद करते हैं लेकिन जो लोग बेल का मुरब्बा खा रहे हैं उन्हें यह भी काफी ज्यादा पसंद आ रहा है. यह मुरब्बा लोगों की सेहत के लिए ये रामबाण जैसा है. इस मुरब्बे में कई गुण छिपे हैं. राजकीय फल संरक्षण केंद्र के प्रांगण में स्थित ट्रेनिंग सेंटर में इस खास बेल के मुरब्बे को तैयार किया जा रहा है. ये बेल का मुरब्बा कैसे बनाया जाता है, ये सवाल आपके मन में जरूर उठ रहा होगा.
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ट्रेनिंग सेंटर प्रभारी मिर्चीलाल शर्मा ने बताया कि मुरब्बा बनाने के लिए कच्चे बेल की जरूरत होती है. मुरब्बा बनाने में जितना बेल का मुरब्बा डालना चाहते हैं उतनी ही उसमें चीनी लगती है. कच्चे बेल के छिलके को पहले उतारा जाता है. उसके बाद उसके बीज निकाले जाते हैं. बेल को गोल गोल पीस में काटकर पानी में उबाल लेना चाहिए. इसके बाद चीनी की चासनी तैयार कर लें. चासनी बनाते समय साइट्रिक एसिड डालें. एसिड डालने से चासनी जमती नहीं है.
थकान और कमजोरी के लिए है रामबाण
मिर्चीलाल ने बताया कि चासनी में बेल को डाल देंगे. ये प्रक्रिया करीब तीन दिन तक होती है. एक हफ़्ते में बेल का मुरब्बा तैयार हो जाता है. मुरब्बा खराब ना हो इसलिए इसमें सोडियम वेंजो डालते हैं. इससे बेल का मुरब्बा कई साल तक सुरक्षित रहता है. उन्होंने बताया की यह पेट के लिए काफ़ी फायदेमंद होता है. यह पेट की बीमारी, कमजोरी और थकान को भी दूर करता है.
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FIRST PUBLISHED : June 27, 2024, 16:24 IST