सीतामढ़ी: आज के समय में 100 में से 70- 80आदमी बैक पेन के दर्द से परेशान है. यह समस्या गलत तरीके से बैठने के कारण होती है. इसकी जानकारी देते हुए फिजियोथेरेपिस्ट के क्षेत्र में 20वर्षो से कार्य कर रहे डॉ. राजेश सुमन बताते है कि पीठ के निचले हिस्से का दर्द (लो बैक पेन) एक ऐसी समस्या है, जो हर आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करती है. आजकल के व्यस्त जीवन, गलत बैठने की आदतों और कठोर शारीरिक गतिविधियों के कारण यह दर्द सामान्य हो गया है. आंकड़ों के अनुसार जीवन में लगभग 80% लोग कम से कम एक बार पीठ के दर्द का सामना करते हैं.
ऐसे में फिजियोथेरेपी इस दर्द के प्रबंधन और रोकथाम में कितनी प्रभावी है उसे जानना जरूरी है. कहा कि पीठ के निचले हिस्से में दर्द कई कारणों से हो सकता है. जैसे मांसपेशियों में खिंचाव, गलत पोस्चर, हड्डियों की कमजोरी, गठिया, या मनोवैज्ञानिक तनाव. हालांकि यह दर्द अक्सर खुद ही ठीक हो जाता है, लेकिन अगर इसे सही ढंग से इलाज न किया जाए तो यह पुराना दर्द बन सकता है, जो व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता और कामकाज को प्रभावित करता है. उन्होंने कहा कि एक मुख्य गैर-इनवेसिव इलाज है जो पीठ के निचले हिस्से के दर्द में प्रभावी साबित हुआ है. फिजियोथेरेपिस्ट मरीजों के दर्द का कारण समझते हैं और उनके लिए व्यक्तिगत इलाज योजना तैयार करते हैं.
लो बैक पेन से बचने के उपाय
मैनुअल थेरेपी मांसपेशियों और जोड़ों में लचीलापन और दर्द को कम करने के लिए मैनुअल तकनीकों का उपयोग किया जाता है. व्यायाम थेरेपी फिजियोथेरेपिस्ट में ऐसे व्यायामों की योजना बनाते हैं, जो मांसपेशियों को मजबूत करने, लचीलापन बढ़ाने और शरीर के सही पोस्चर को बनाए रखने में मदद करता है.लो बैक पेन, यानी कमर दर्द से कैसे बचा जा सकता है. सरल उपाय अपनाकर हम इससे बच सकते हैं. सबसे पहले, सही पॉश्चर अपनाना बेहद जरूरी है. बैठते समय अपनी पीठ को सीधा रखें और कुर्सी पर बैठते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपकी पीठ कुर्सी की बैक सपोर्ट को पूरी तरह छू रही हो.
यदि आप लंबे समय तक बैठकर काम करते हैं, तो हर 30-40 मिनट में एक बार उठें और हल्की स्ट्रेचिंग करें. दूसरा, भारी वजन उठाते समय हमेशा घुटनों को मोड़कर उठाएं, सीधे झुककर वजन उठाने से बचें. यह आपकी रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे लो बैक पेन की संभावना बढ़ जाती है.
नियमित रूप से करें एक्सरसाइज
तीसरा, नियमित रूप से एक्सरसाइज करना बहुत महत्वपूर्ण है. अपने रूटीन में कुछ स्ट्रेंथनिंग और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज शामिल करें, जैसे कि पेल्विक टिल्ट्स, कैट-कामेल स्ट्रेच, और चाइल्ड पोज़. ये एक्सरसाइज आपकी कमर की मांसपेशियों को मजबूत और लचीला बनाती हैं, जिससे रीढ़ की हड्डी को सपोर्ट मिलता है और लो बैक पेन की संभावना कम होती है.चौथा, नींद की स्थिति भी महत्वपूर्ण है.
सोते समय हमेशा सपोर्टिव गद्दे का करें प्रयोग
सोते समय हमेशा एक आरामदायक और सपोर्टिव गद्दे का उपयोग करें. साइड में सोते समय घुटनों के बीच तकिया रखें, और अगर पीठ के बल सोते हैं, तो घुटनों के नीचे तकिया रखना फायदेमंद होता है. अंत में, अगर आपको पहले से ही लो बैक पेन है, तो तुरंत फिजियोथेरेपिस्ट से सलाह लें. फिजियोथेरेपी में हम आपकी स्थिति के अनुसार एक व्यक्तिगत उपचार योजना तैयार करते हैं, जिसमें मैनुअल थेरेपी, एक्सरसाइज, और अन्य तकनीकें शामिल होती हैं.लो बैक पेन से बचाव संभव है, बस आपको अपने जीवनशैली में कुछ सुधार करने की जरूरत है.
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FIRST PUBLISHED : September 19, 2024, 12:30 IST
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