कोडरमा. डायबिटीज के मरीज की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. उम्रदराज लोगों के के साथ-साथ अब कम उम्र वाले भी इसकी चपेट में आ रहे हैं. डॉक्टर के अनुसार बदलते लाइफस्टाइल एवं शारीरिक गतिविधि कम होने से लोग इस समस्या के शिकार हो रहे हैं. इस समस्या में राहत पाने के लिए आयुर्वेद में कई जड़ी बूटियां का जिक्र किया गया है. जिसमें गुड़मार का पौधा भी खास महत्व रखता है.
…तो इसलिए नाम पड़ा गुड़मार
सदर अस्पताल कोडरमा स्थित जिला आयुष विभाग के चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर प्रभात कुमार ने लोकल 18 से विशेष बातचीत में बताया कि आयुर्वेद में गुड़मार को रामबाण औषधि बताया गया है. इसका नाम गुड़मार मिठास खत्म करने के कारण रखा गया है. इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो शुगर कंट्रोल करने में सहायक होते हैं.
उन्होंने कहा कि गुड़मार के पत्ते, तने और जड़ का आयुर्वेद पद्धति में दवा की तरह इस्तेमाल किया जाता है. इसमें जिम्नेमिक एसिड पाया जाता है, जो इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करता है. यह शरीर के शुगर रिसेप्टर्स के साथ जुड़कर ग्लूकोज के अवशोषण को कम करके ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक होता है. इससे इंसुलिन पर निर्भर रहने वाले मरीजों को भी लाभ मिलता है.
मात्र दो पत्ते चबाने भर से नहीं बढ़ता शुगर
डॉक्टर ने बताया कि डायबिटीज से पीड़ित लोग गुड़मार के 2 ताजे पत्ते को सुबह खाली पेट चबाकर ऊपर से एक गिलास पानी पी लें. इससे दिन भर शुगर लेवल नहीं बढ़ता है और शुगर कंट्रोल भी होता है. उन्होंने बताया कि डायबिटीज से पीड़ित लोग जब इस पत्ते को चबाते हैं तो उन्हें इसका स्वाद पता नहीं चलता है. जबकि नॉन डायबिटिक लोग यदि इसे चबाते हैं तो उन्हें उल्टी हो जाती है. यह इसकी सबसे बड़ी पहचान है.
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FIRST PUBLISHED : January 3, 2025, 15:12 IST