सच्चिदानंद/पटना. अगर आप भी मोटापे से परेशान हैं. लाख प्रयास के बावजूद भी वजन कम होने का नाम नहीं ले रहा है तो चिंता छोड़िए और सीधे पटना के आइजीआइएमएस पहुंच जाइए. जहां अनुभवी डॉक्टरों की टीम द्वारा प्राइवेट अस्पताल की तुलना में सस्ते दाम पर आपके इस मोटापे का उपचार किया जाएगा. उपचार के बाद तुरंत वजन में कमी दिखना शुरु हो जाएगी. इसका जीता जागता सबूत है पटना निवासी और मर्चेंट नेवी में कार्यरत 45 साल के अखलाक अहमद. वह बचपन से ही मोटापे से परेशान थे. अब तो चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया था. हफनी, खर्राटा और जोड़ों के दर्द से काफी परेशानी हो रही थी. तब उन्हें आईजीआईएमएस के बारे में पता चला. यहां पहुंचे तो उनकी बेरिएट्रिक सर्जरी की गई.
सर्जरी के बाद अखलाक अहमद ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि अब मैं काफी हल्का महसूस कर रहा हूं. अभी से वजन कम होने लगा है. डॉक्टरों की टीम ने सराहनीय कार्य किया है.
149 किलो था अखलाक का वजन
जब अखलाक आइजीआइएमएस के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्राध्यापक और वरीय बेरिएट्रिक सर्जन डॉ. साकेत से मिले तब उनका वजन 149 किलो था. जांच के दौरान बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) 52 पाया गया. बीएमआई की नॉर्मल रेंज 18.5 से 24.9 के बीच होती है. 18.5 से नीचे को कम और 25.0 और उससे ज्यादा को अधिक वजन माना जाता है. 30.0 और उससे अधिक बीएमआई को मोटापा की श्रेणी में रखा जाता है. इस हिसाब से अखलाक की स्थिति काफी खराब थी. शुरुआत में उनको डाइट पर रखा गया. एक महीने के संयमित आहार और व्यायाम से उनका वजन 135 किलो पर आ गया. लेकिन, स्थायी राहत के लिए बेरिएट्रिक सर्जरी की गई.
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बेहद कम खर्च पर यह सेवा उपलब्ध
आइजीआइएमएस के उपनिदेशक सह मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि बेरिएट्रिक सर्जरी की सुविधा चार साल से हमारे संस्थान में उपलब्ध है. अब तक 20 से ज्यादा मरीजों की सफल बेरिएट्रिक सर्जरी की जा चुकी है. हाल में 149 किलो के अखलाक अहमद की सर्जरी की गई. यह अब तक सबसे अधिक वजन वाले व्यक्ति हैं. अखलाक सबसे गंभीर श्रेणी के मोटापे से ग्रस्त थे. 50 से ज्यादा बीएमआई वाले मरीजों की सर्जरी जटिल होती और खतरा भी बढ़ जाता है. लेकिन हमारी टीम ने इसे सफल बनाया.
क्या होती है बेरिएट्रिक सर्जरी
डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि लोगों को लगता है कि मोटापे की सर्जरी में चर्बी निकाल दी जाती है जबकि ऐसा नहीं है. बेरिएट्रिक सर्जरी में पेट के आकार को छोटा कर दिया जाता है साथ ही छोटी आंत को आपस में जोड़ा जाता है. यह उन मरीजों का होता है जिनका वजन 100 से 150 किलो के बीच होता है. सबसे पहले डाइट प्लान दिया जाता है. जिससे कुछ किलो कम होता है. फिर कुछ एक्सरसाइज करवाई जाती है. इसके बाद लेप्रोस्कोपिक विधि से मिनी- गैस्ट्रिक बाईपास ऑपरेशन किया जाता है. उन्होंने उम्मीद जताई है 149 किलो के अखलाक अहमद का वजन अगले एक महीने में आधा हो जाएगा. आपको बता दें कि इस अस्पताल में यह ऑपरेशन करवाने में मात्र 80 हजार रुपए के आसपास खर्च आता है. इसमें सारे खर्च शामिल है.
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FIRST PUBLISHED : May 19, 2024, 13:36 IST