5.5 C
Munich
Saturday, November 16, 2024

जोड़ों के दर्द के लिए काल हैं ये 3 पत्ते, यूरिक एसिड को चूसकर निकालते हैं बाहर,कालमेघ तो सबसे ज्यादा जुल्मी

Must read


Leaves That Control Uric Acid: यूरिक एसिड बायप्रोडक्ट है जो शरीर में प्यूरीन (purines) नामक पदार्थ के टूटने से बनता है. प्यूरीन हमारे शरीर के हर कोशिका में पाया जाता है और यह हमारे भोजन से ही बनता है. खासकर जब मांसाहार, शराब और कुछ समुद्री भोजन करते हैं तो इससे प्रोटीन बनता है और प्रोटीन के बायप्रोडक्ट के रूप में प्यूरीन टूटते हैं और यही यूरिक एसिड में बदल जाता है. सामान्यतः यह ब्लड सर्कुलेशन के माध्यम से यह किडनी में पहुँचता है और पेशाब के रूप में शरीर से बाहर निकल जाता है लेकिन जब यह ज्यादा बनने लगे तो यूरिक एसिड जोड़ों के बीच में क्रिस्टल के रूप में जमने लगता है और हड्डियों के बीच में दर्द पैदा करता है. यूरिक एसिड क्रिस्टल आर्थराइटिस और गठिया के दर्द का कारण बन सकते हैं. जब यूरिक एसिड क्रिस्टल के रूप में जोड़ों में जमा होते हैं तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इन्हें बाहरी पदार्थ के रूप में पहचानती है और इन पर प्रतिक्रिया करती है, जिससे सूजन और दर्द होता है. इस दर्द से निपटने के लिए लोग दवा खाते हैं लेकिन दवा इसका स्थायी समाधान नहीं है. कुछ स्टडीज में इस बात के पुख्ता संकेत हैं कि कुछ पत्तों में इतने एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं कि यह शरीर से यूरिक एसिड को निकालने में बेहद कारगर है और इससे गठिया का दर्द भी कम हो सकता है.

इन पत्तों से कंट्रोल होगा यूरिक एसिड

1.कालमेघ पत्ते-एनसीबीआई जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक कालमेध के पत्तों में यूरिक एसिड को कम करने की क्षमता है. रिसर्च में बताया गया है कि कालमेघ के पत्तों में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होता है यानी जब सूजन होती है तो यह कोशिकाओं के अंदर इंफ्लामेशन के कारण होती है. कालमेघ इस इंफ्लामेशन को होने नहीं देता. इसलिए कालमेघ गठिया या जोड़ों के दर्द को कम करने में माहिर है. अध्ययन के मुताबिक कालमेघ में एंटीहायपरयूरेसेमिक गुण मौजूद है. इसका मतलब है कि यह शरीर में यूरिक एसिड को खून के माध्यम से पेशाब में भेज देता है जो शरीर से बाहर हो जाता है. एंटी-इंफ्लामेटरी गुण के कारण यह जोड़ों में जमा मोनसोडियम यूरेट क्रिस्टल को गला देता है. इन सबके बावजूद बिना डॉक्टरों की सलाह खुद से कालमेघ के पत्तों का इस्तेमाल न करें. एक बार डॉक्टर से सलाह ले लें.

2. अमरूद के पत्ते-अमरूद तो सब खाते हैं लेकिन क्या कभी आपने अमरूद के पत्ते खाएं हैं. अगर कभी-कभी इसे चबा लेंगे तो कई परेशानी दूर हो सकती है. एनसीबीआई जर्नल के मुताबिक अमरूद के पत्तों में पोलीफेनोल कंपाउड होता है जो एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटी-हाइपरयूरेसेमिक होता है. यह शरीर के अंदर यूरिक एसिड को ब्लड सर्कुलेशन के माध्यम से बाहर भेज देता है. चूहों पर किए गए अध्ययन में साबित हुआ है कि अमरूद के पत्तों में यूरिक एसिड को कम करने की क्षमता होती है. इतना ही नहीं अमरूद के पत्ते ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल कर सकता है.

3. गिलोय-बाबा रामदेव ने सबको बता दिया है कि गिलोय के पत्ते से डेंगू का बुखार ठीक किया जा सकता है लेकिन वैज्ञानिक प्रयोगों में यह भी पाया गया है कि गिलोय शरीर से यूरिक एसिड को कम कर सकता है और इससे गढिया के दर्द को भी कम करने में मदद मिलती है. आमतौर पर लोग गिलोय का जूस बनाकर पीते हैं लेकिन आप पहले एक बार डॉक्टर से सलाह ले लें क्योंकि रिसर्च सिर्फ लेबोरेटरी में किया गया है. इंसानों पर इसका परीक्षण होना अभी बाकी है.

युवाओं को तेजी से अपना शिकार बना रहे हैं 5 तरह के कैंसर, 15 से 39 साल के लोग सबसे ज्यादा चपेट में, जानिए कौन-कौन से हैं ये

इसे भी पढ़ें-कैंसर के लिए भी काल है ये 5 सस्ती चीजें! कई बीमारियों से रखती है महफूज, बस रोज करना है सेवन

Tags: Health, Health tips, Lifestyle



Source link

- Advertisement -spot_img

More articles

- Advertisement -spot_img

Latest article