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Wednesday, November 20, 2024

सोलो ट्रिप पर लद्दाख गया मां-बाप का अकेला बेटा, सिर दर्द से शुरू परेशानी बन गई मौत का कारण

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Altitude Mountain Sickness: अपने मां-बाप की अकेली संतान, उम्र मात्र 27 साल, पद भी अच्छा खासा, चल पड़ा लद्दाख की वादियों को करीब से निहारने, मन में उमंगें थी कि इस रेगिस्तानी पहाड़ की हर शै को छू लूं लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. 27 साल का यह नौजवान पहाड़ की इसी गहराई में अपनी भरी जवानी में चिर निद्रा में सो गया. यह कहानी आपको दिल दहला देगी लेकिन सोचने वाली बात यह है कि पहाड़ की ऊंचाई पर अक्सर यंग एज के लोगों को भी मौत क्यों हो जाती है. आखिर ऐसा होता क्यों हैं, और अगर होता है, तो उससे बचने के क्या उपाय हैं, इसे लेकर हमने फोर्टिस अस्पताल मानेसर गुड़गांव में पल्मोनोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. करण मेहरा से बात की.

मामला क्या था

नोएड के एक प्राइवेट फर्म में डिजिटल मार्केटिंग एग्जक्यूटिव चिन्मय शर्मा 22 अगस्त को सोलो ट्रिप के लिए लद्दाख की ओर रवाना हुआ. 26 अगस्त को उन्होंने अपने माता-पिता को फोन पर बताया कि उसे सिर में दर्द हो रहा है. पिता ने कहा आराम करो और डॉक्टर से दिखा लो. फिर 27 अगस्त को चिन्मय ने कहा कि उसे सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है. जब पिता को लगा कि बेटा बात नहीं मान रहा तो उसने लेह में होटल के मैनेजर को फोन किया और उससे बेटे को अस्पताल ले जाने की गुजारिश की. पिता को जब लगा कि बेटा सही से इलाज नहीं करा रहा तो वह खुद वहां पहुंचने के लिए रवाना हो गए लेकिन जब तक वे वहां पहुंचे उससे कुछ घंटे पहले 29 अगस्त को चिन्मय ने अस्पताल में दम तोड़ दिया.

कौन सी बीमारी लग गई
डॉ. करण मेहरा के मुताबिक चिन्मय की मौत का सटीक कारण क्या है, यह तो उनका इलाज कर रहे डॉक्टर ही बता पाएंगे लेकिन ऐसे मामलों में हाई अल्टीट्यूट सिकनेस सबसे बड़ी वजह होती है. ऐसा तब होता है जब शरीर में ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है और बहुत जल्दी-जल्दी हवा का दबाव बदलने लगता है. इससे सिर में दर्द, उल्टी, थकान, सांस लेने में तकलीफ और तेजी से जी मिचलाने लगता है. मुख्य रूप से तीन तरह के हाई अल्टीट्यूट सिकनेस होते हैं. अल्टीट्यूट माउंटेन सिकनेस, हाई अल्टीट्यूट सेरेब्रल ओएडेमा जो ज्यादा गंभीर है और हाई अल्टीट्यूट पल्मोनरी ओएडेमा जो सबसे ज्यादा खतरनाक है. इसमें मौत की आशंका ज्यादा हो जाती है. चिन्मय को अल्टीट्यूट माउंटेन सिकनेस हुआ होगा.

शरीर में क्या होता है

डॉ. करण मेहरा ने बताया कि जब आप पहाड़ों पर चढ़ते हैं तो अचानक आपका शरीर एक अलग वातावरण में आ जाता है. ऑक्सीजन का लेवल कम होने लगता है और हवा का दबाव शरीर पर बढ़ जाता है. ऑक्सीजन कम पहुंचने से जो नुकसान होता है, वह तो होता ही है, जब प्रेशर शरीर पर ज्यादा पड़ता है तो इससे शरीर के अंदर विभिन्न तरह की नलिया फटने लगती है और इससे पानी लीक होने लगता है. यह पानी सबसे पहले लंग्स में पहुंचता है और इसके बाद ब्रेन में. जब ठीक समय पर आप अस्पताल नहीं पहुंचते है तो यह पानी पूरे शरीर में फैलने लगता है. यह ठीक ऐसा ही है जैसा आपका शरीर पानी के अंदर है. जब लंग्स में पानी भरने लगेगा तो लंग्स फेल हो जाएगा और दिल की धड़कन भी कुछ समय में बंद हो जाएगा.

ऊंचाई पर जाने से पहले क्या करें
डॉ. करण मेहरा ने बताया कि यदि आप पहाड़ के नहीं हैं और पहाड़ की तरफ ऊंचाई पर जा रहे हैं तो सबसे पहले अपनी हेल्थ की जांच कर लें. आपके लंग्स की क्षमता कितनी है इसे चेक करें. इसका सामान्य नियम यह है कि रनिंग करते समय आपकी सांसें बहुत तेज तो नहीं चलती या आपके बर्दाश्त से बाहर तो नहीं है. पहाड़ पर जाने से पहले सांस वाली एक्सरसाइज को बढ़ा दें. इसके बाद अपने डॉक्टरों की सलाह से एक दवा एसिटाजोलामाइड का सेवन शुरू कर दें. डॉ. करण मेहरा ने कहा कि आमतौर पर 2800 फुट की ऊंचाई के बाद समस्या शुरू होने लगती है. इसलिए जब ऊंचाई पर जाएं तो अचानक बहुत ऊंचाई पर न पहुंचे. मसलन यदि आप लेह लद्दाख जा रहे हैं तो एक-दो दिन किसी जगह रूक जाएं और वहां के मौसम में खुद को फिट रखें. फिर धीरे-धीरे आगे बढ़ें. ये नहीं कि हवाई जहाज से लेह उतरे और आगे की ओर उसी दिन बढ़ने लगे.

अगर परेशानी हो तो क्या करें

डॉ. करण मेहरा ने बताया कि जब परेशानी शुरू होती है तो यह अमूमन सिर दर्द से शुरू होती है या जी मितलाने लगता और उल्टी भी हो सकती है. ऐसी स्थिति में आगे ऊंचाई पर न बढ़ें, तुरंत किसी अस्पताल पहुंचे और दवा लें. इसके बाद कुछ दिन आराम करें या डॉक्टर जिस हिसाब से कहें, उसी तरह करें. वहीं अगर परेशानी ज्यादा बढ़ गई है, सांस फूलने लगी है या सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. यहां पर पूरी तरह फिट होकर ही आगे बढ़ें.

किन लोगों को है ज्यादा खतरा
डॉ. करण मेहरा ने बताया कि जिन लोगों को पहले ऐसा हो चुका है, सबसे ज्यादा उन लोगों को खतरा है. इसके बाद जो लोग ज्यादा स्मोक करते हैं, उन्हें ज्यादा खतरा है. इसके अलावा फेफड़े की बीमारी सीओपीडी, अस्थमा या सांस से संबंधित किसी भी तरह की बीमारियों के मरीज को यह परेशानी ज्यादा होती है. ऐसे में वहां जाने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह ले लें.

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Tags: Health, Health tips, Lifestyle



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