गुजरात हाई कोर्ट उस मामले की सुनवाई कर रहा था जिसमें आरोपी ने उसके खिलाफ दायर रेप की एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी।
गुजरात हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए शख्स के खिलाफ शादी का वादा कर रेप के आरोप में दर्ज एफआईआर को खारिद कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि हर उस मामले में पुरुष के खिलाफ सेक्शन 376 के तहत रेप का मामला दर्ज नहीं हो सकता वादा करने के बावजूद लड़की से शादी ना कर पाया हो। कोर्ट ने कहा कि लड़के को तभी इस तरह के मामलों में दोषी माना जा सकता है जब यह साबित हो जाए कि लड़के का उस वादे को पूरा करने की कोई नियत नहीं है और केवल इसलिए किया गया ताकी वह लड़की से उसकी सहमति के साथ शारीरिक संबंध बना सके।
गुजरात हाई कोर्ट ने यह फैसला उस याचिका पर सुनवाई के बाद दिया जिसमें शख्स ने अपने खिलाफ साल 2019 में दायर एफआईआर को खारिज करने की मांग की थी। लड़की का आरोप था कि आरोपी ने शादी का वादा कर उससे शारीरिक संबंध बनाए। इसके बाद आरोपी ने उसे अपने फार्म हाउस पर बुलाया और फिर शारीरिक संबंध बनाए। इसके बाद जैसे ही लड़की को पता चला कि वह प्रेग्नेंट है, उसने आरोपी को बताया। लड़की ने आरोप लगाया कि उसके प्रेग्नेंट होने की बात को आरोपी ने मानने से इनकार कर दिया और शादी के वादे से मुकर गया। इसके बाद लड़की पुलिस के पास गई और एफआईआर दर्ज की गई।
वहीं आरोपी ने कहा कि अगर यह मान भी लिया जाए कि शादी के वादे से जुड़ा आरोप सच है, तब भी इस मामले को रेप का मामला नहीं माना जा सकता। आरोपी की ओर से दलील दी गई कि लड़की ने मामले के 6 महीने बाद एक बच्चे को जन्म दिया। जब उसका डीएनए टेस्ट किया गया तो पता चला कि आरोपी उसका पिता नहीं था। आगे यह भी दलील दी गई कि सुनवाई के दौरान लड़की ने शादी कर ली और नोटिस भेजे जाने के बावजूद एक भी सुनवाई के लिए कोर्ट नहीं आई जिससे यह पता चलता है कि उसे मामले को आगे बढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि प्यार शब्द अपने आप में सहमति है इसलिए नहीं कहा जा सकता कि लड़के ने उसका रेप किया जो उसके साथ प्यार में थी।