रजत भट्ट: इंसान सालभर अलग-अलग व्रत रखते हैं. लेकिन क्या आपने कभी जानवरों के व्रत के बारे में सुना है. ऐसा सच में होता है. गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान में शेर, बाघ और तेंदुए भी हफ्ते में एक दिन उपवास करते हैं. हर शुक्रवार को चिड़ियाघर के सभी मांसाहारी जानवरों का ‘फास्टिंग डे’ होता है. जहां उन्हें मांस नहीं दिया जाता. इसका उद्देश्य जानवरों के पाचन तंत्र को आराम देना और उन्हें स्वस्थ बनाए रखना है.
जानवर क्यों रखते हैं व्रत?
प्राणि उद्यान के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह के अनुसार, लगातार भोजन देने से जानवरों का पाचन तंत्र थक सकता है. जिससे उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है. उन्होंने बताया, ‘उपवास का दिन जानवरों के शरीर को प्राकृतिक तरीके से काम करने का मौका देता है. जंगल में यह जरूरी नहीं कि हर दिन शिकार मिले, इसलिए कई बार जानवरों को भूखा रहना पड़ता है. चिड़ियाघर में रोजाना भोजन मिलने के कारण हम उनके पाचन तंत्र को राहत देने के लिए यह उपाय अपनाते हैं.’
शेर और बाघ को मिलता है कम चर्बी वाला मांस
चिड़ियाघर में मौजूद बाघ और शेर प्रतिदिन 10 से 12 किलो मीट खाते हैं. जबकि तेंदुआ और लकड़बग्घे लगभग 5 किलो मीट खाते हैं. इन्हें कम चर्बी वाला मांस दिया जाता है. ताकि यह आसानी से पच सके और उनके स्वास्थ्य को कोई नुकसान न पहुंचे. लेकिन शुक्रवार को इन जानवरों को सिर्फ पानी दिया जाता है. ताकि उनके पाचन तंत्र को आराम मिले और वो स्वस्थ बने रहें.
उपवास से पाचन तंत्र होता है मजबूत
डॉ. योगेश ने बताया कि इस फास्टिंग डे का मुख्य उद्देश्य जानवरों के पाचन तंत्र को मजबूत बनाना है. वो कहते हैं, ‘जंगलों में जानवरों का भोजन अनियमित होता है, जिससे उनके शरीर को समय-समय पर प्राकृतिक रूप से आराम मिल जाता है. चिड़ियाघर में भी हम यही कोशिश करते हैं कि उनका जीवन जंगल के करीब रहे.’ गोरखपुर चिड़ियाघर का यह अनूठा प्रयोग मांसाहारी जानवरों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मददगार साबित हो रहा है. उपवास के दौरान उनके शरीर को पर्याप्त समय मिलता है ताकि पाचन तंत्र बेहतर तरीके से काम कर सके.
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FIRST PUBLISHED : September 16, 2024, 14:19 IST