अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पहली बार लाल आंवले की खेती होने जा रही है. राजधानी लखनऊ के मलिहाबाद के किसान अफताब ने पश्चिम बंगाल से यहां लाल आंवले के पौधे मंगा लिए हैं, जिन्हें वह अपने बाग में लगा रहे हैं. इन पौधों की खासियत यह होती है कि इन्हें पानी की जरूरत बिल्कुल भी नहीं होती है और सर्दियों में इसके ऊपर फल भी आ जाएगा. यानी लाल आंवले से यह पौधे भर जाएंगे. यही नहीं लाल आंवला सेहत का भंडार होने की वजह से इनकी मुंह मांगी कीमत भी बाजार में किसानों को मिलेगी. जिससे किसान लाल आंवले के जरिए ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सकेंगे. लाल आंवले की खेती शुरू करने जा रहे अफताब से जब बात की गई, तो उन्होंने बताया कि पहली बार उन्होंने पश्चिम बंगाल से लाल आंवले के पौधे यहां मंगाए हैं. 100 से ज्यादा पौधे इनके पास आ चुके हैं. सभी को लगाने का काम चल रहा है. पश्चिम बंगाल में इन पौधों को विदेशों से मंगाया गया था.
लाल आंवले की बढ़ रही मांग
उन्होंने बताया कि यूरोप, दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया, कनाडा और थाईलैंड जैसे देशों में लाल आंवले की खेती होती है. वहां के लोग लाल आंवला ज्यादा पसंद करते हैं. यही वजह है कि अब धीमे-धीमे करके भारत के किसान भी हरे आंवले से ज्यादा लाल आंवले की ओर जा रहे हैं.
200 रुपए किलो बाजार में बिकेगा
किसान अफताब ने बताया कि हरे आंवले के पौधे की जब रोपाई होती है, तो उसपर चार से पांच साल बाद फल आना शुरू होते हैं और बाजार में हरा आंवला 15 से 25 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक जाता है. जबकि लाल आंवला के पौधे की रोपाई के बाद से ही इस पर फल आने लग जाते हैं और इसका फल बाजार में 100 से 200 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकता है. लाल आंवले से किसानों को ज्यादा फायदा होता है. इसलिए अब किसानों में लाल आंवले की मांग धीरे-धीरे बढ़ने लगी है. इसलिए दूसरे किसान इनके पास पौधे लेने आ रहे हैं.
सेहत का है भंडार
लाल आंवला विटामिन सी प्रदान करने वाला सबसे बड़ा पोषक तत्व है. इसका हर रोज़ प्रयोग करने से सर्दी खांसी, वायरल बुखार, मधुमेह, त्वचा से जुड़े रोग, एसिडिटी, पथरी, सफ़ेद बालों से निजात मिलती है. याददाश्त को मज़बूत और आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी इस आंवले का इस्तेमाल किया जाता है. यही नहीं आंवले में एंटीऑक्सीडेंट्स पाया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : May 30, 2024, 12:13 IST