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Thursday, September 19, 2024

भेड़-बकरी पाल कर बेटे को बनाया डॉक्टर, BHU से किया MBBS,अब मेडिकल ऑफिसर बनकर परिवार का बढ़ा रहे मान

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बलिया: कहते हैं, मां-बाप का ऋण कभी चुकाया नहीं जा सकता. बेटे की सफलता के लिए पिता अपनी खुशियों का त्याग करने से भी नहीं चूकते. यह केवल एक कहावत नहीं, बल्कि बलिया जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. एस.के. यादव की जिंदगी की सच्चाई है. उनका जीवन संघर्ष, जुनून और समर्पण की मिसाल है. आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद उनके पिता ने अपने बेटे की पढ़ाई के लिए ऐसा कदम उठाया, जिससे वे घृणा करते थे, लेकिन बेटे के भविष्य के लिए उन्होंने यह बलिदान दिया.

डॉ. एस.के. यादव, झारखंड के साहिबगंज जिले के निवासी हैं. हाई स्कूल तक की पढ़ाई अपने गृह क्षेत्र से पूरी करने के बाद, उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से इंटरमीडिएट किया. इसके बाद एमआईटी मुजफ्फरपुर से बी.फार्मा में दाखिला लिया. लेकिन, परिवार के कुछ लोगों ने उन्हें चिकित्सा क्षेत्र में जाने की सलाह दी. डॉक्टर बनने के इस सपने को साकार करने के लिए वे पटना लौटे और मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी में जुट गए.

पहली बार में ही मिली बड़ी सफलता
साल 1984 में डॉ. यादव ने बिहार मेडिकल ऐडमिशन टेस्ट (BMAT) दिया और पहली बार में सफल रहे. उन्हें 1985 में टाटा मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिला. यहां से उन्होंने एमबीबीएस का पहला भाग पूरा किया, और फिर बीएचयू में स्थानांतरण परीक्षा पास कर वहां से मेडिकल डिग्री हासिल की. इस पूरी यात्रा के दौरान, उन्होंने न केवल अपने पिता का सपना साकार किया बल्कि अपने अथक परिश्रम से एक बड़ी सफलता हासिल की.

जब पैसे की कमी बनी चुनौती, तो पिता ने किया बड़ा बलिदान
डॉ. यादव बताते हैं कि पढ़ाई के दौरान आर्थिक स्थिति बहुत कठिन थी. उनके पिता एक छोटे किसान थे और परिवार की आर्थिक स्थिति पढ़ाई के खर्चों को पूरा करने में सक्षम नहीं थी. ऐसे में उनके पिता, जो भेड़-बकरी पालन से घृणा करते थे, बेटे की पढ़ाई के लिए इस काम को भी अपनाने के लिए मजबूर हो गए. यह उनके पिता का अटूट प्रेम और त्याग था, जिसने डॉ. यादव को कभी हारने नहीं दिया. वे आज भी अपने पिता के इस बलिदान को याद कर भावुक हो जाते हैं.

सपनों की ऊंचाई को छूने वाला सफर
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, डॉ. यादव ने पहली ही बार में लोकसभा कमिशन का इंटरव्यू पास किया और सरकारी नौकरी हासिल की. उन्होंने अमेठी, सुल्तानपुर, जौनपुर जैसे विभिन्न जिलों में अपनी सेवाएं दीं और आज बलिया जिला अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के पद पर कार्यरत हैं. उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि कड़ी मेहनत और परिवार के समर्थन से कोई भी असफलता से दूर रह सकता है.

Tags: Local18, MBBS student, Success Story



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