सत्यम कटियार/फर्रुखाबादः अगर जीवन में आपको कुछ अलग करना है तो फिर लीक से हटकर अलग काम करना होगा. जिसके लिए हौसला और जुनून होना चाहिए. ऐसी ही कहानी है उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद के एक किसान देशराज की. वह शुरू से ही गेहूं और धान की फसल उगाते थे. लेकिन इससे लागत निकलना तक मुश्किल होती थी. ऐसे में उनके मन में नगदी वाली फसलों को उगाने का आइडिया आया. उन्होंने टिंडे की फसल उगाने का निर्णय लिया. जिसमें आज मात्र 200 रुपए की लागत लगती है और छह महीने तक बंपर कमाई होती है.
फर्रुखाबाद के भगवानपुर नौखंडा गांव के निवासी किसान देशराज ने बताया कि वह बचपन से ही खेती कर रहे हैं. एक समय ऐसा था जब वह पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन घर में गरीबी के माहौल के बीच स्कूल नहीं जा सके. लेकिन मन में एक ऐसा जज्बा था कि कुछ भी करना पड़े, बस यह हालत बदलने चाहिए. ऐसे समय में उनके पास एक बीघा भूमि थी. उसी पर कम समय और न्यूनतम लागत में तैयार होने वाली फसलों को उगाना शुरू किया. धीरे धीरे बदलते समय के साथ वह जैविक खाद का प्रयोग करके फसलों को तैयार करने लगे. आज वह मात्र दो सौ रुपए का बीज खरीदकर. उसी फसल से बंपर की कमाई कर रहे हैं.
बंपर हो रही आमदनी
स्थानीय स्तर पर टिंडे की बिक्री इतनी अधिक हो रही कि जिले के खरीददार खेत से फसल को खरीद लेते हैं. अब अन्य जिलों से भी टिंडे की डिमांड आ रही है. टिंडे की बिक्री के साथ ही जैविक खाद भी तैयार कर लेते हैं. इस समय वह पचास से साठ हजार रुपए की बंपर आमदनी कर चुके हैं. उनका कहना है कि जरूरी नहीं कि अधिक भूमि ही हो. जितनी भी हो उसी में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
डबल फसल तैयार करने का क्या है तरीका
किसान देशराज ने बताया कि उनको एक साथ कई फसलों को तैयार करने का तरीका कम भूमि होने के कारण आया. ऐसे समय पर वह लगातार नगदी वाली फसल उगाकर कमाई कर रहे हैं. खेत में प्रति पौधा एक मीटर की दूरी पर रोप देते हैं. जब पौधा बढ़ा हो जाता है, तब बीच की भूमि पर समय से सिंचाई करते रहते हैं. इस समय वह टिंडे की बिक्री कर रहे हैं. जब फसल खत्म हो जाती है, तो पौधों की जैविक खाद बनाकर प्रयोग करते हैं.
टिंडे की खेती मुनाफे का सौदा
लोकल 18 को देशराज ने बताया कि उन्होंने अपने खेत में टिंडे की खेती जब से शुरू की है, तब से एक महीने में ही पचास से साठ हजार रुपए की कमाई हो रही है. उनके पास एक बीघा जमीन है, उसी में नगदी वाली फसलों से वह कमाई कर लेते हैं. इस फसल से सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसमें रोग भी कम लगता है और उनके खेतों में उर्वरक शक्ति भी बढ़ती है. इसके साथ ही जमीन भी उपजाऊ बनी रहती है. वहीं फसल तैयार होने पर उसे बाजार ले जाने की भी कोई टेंशन नहीं है. क्योंकि टिंडे की अधिक मांग होने के कारण यह खेती से ही बिक जाती है.
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FIRST PUBLISHED : June 7, 2024, 09:00 IST