बहराइच: यूपी के बहराइच जिला कृषि विज्ञान केंद्र के डॉक्टर नंदन सिंह के अनुसार, हल्दी की खेती किसानों के लिए एक समझदारी भरा कदम है. उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक सलाह और आधुनिक तकनीकों के साथ हल्दी की खेती को और भी अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है, जिससे किसानों को अधिक लाभ हो और जब भी बुवाई करें, तो इस चीज का ध्यान जरूर रखें, जिसमे रो टू रो स्पेस 60 सेंटीमीटर और पौधें से पौधें की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर होनी चाहिए.
खेती में अपनाए ये तरीका
हल्दी की खेती में लागत और मुनाफा दोनों ही ज्यादा होता है.अगर खेती को अच्छे से किया जाए तो सफल की पैदावार में वृद्धि होती है. इसमें ध्यान रखने योग्य बातें ये हैं कि जब हल्दी की बुवाई की जाती है, तो अप्रैल के लास्ट माह या फिर मई के सुरुआत में ही करना चाहिए. इसकी खेती हल्की धूप-छांव वाली आम-अमरूद की जगह पर भी किया जा सकता है. अगर बागवानी भी है तो उसके साथ भी हल्दी की खेती बड़े आराम से की जा सकती है.
अच्छा मुनाफा के लिए अपनाएं ये तरीका
प्राकृतिक विधि से हल्दी की खेती करने में जरूर मल्चिंग करें, जिससे खरपतवार से छुट्टी मिल जाती है, जो न के बराबर उगते हैं और जब हम खेतों में जीवामृत का छिड़काव किया जाता है तो, जिस भी चीज से मल्चिंग की हुई होती है. वो चीजे सड़ने लगती है और खाद का काम करती है, जिससे माइक्रोबॉयल एक्टिविटी तेज हो जाती है.
बुवाई करने से पहले करें यह काम
हल्दी की खेती में बुवाई से एक दिन पहले बीजामृत से ट्रीटमेंट करना चाहिए और बीज को बीजामृत बनाकर उसमें डीप कराकर फिर निकाल कर आधा घंटा सूखने के लिए छोड़ देना चाहिए. फिर उसके बाद बुवाई करनी चाहिए.
मल्चिंग से फसलों को फायदा
मल्चिंग से फसल को बहुत फायदा पहुंचता है. इसमे जमीन बिलकुल भर-भरी नरम हो जाती है. इसमे कैजुअल भी आ जाते हैं, जो फसलों के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. इसलिए केंचुल को किसानों का मित्र कहा गया है.
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FIRST PUBLISHED : September 19, 2024, 16:39 IST