लखीमपुर खीरी: किसानों के लिए पराली और फसल के अवशेषों को निपटाना हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही है. पहले किसान इन अवशेषों को जलाकर समाप्त कर देते थे, लेकिन इससे मिट्टी की उर्वरता घट जाती है और वायु प्रदूषण बढ़ता है. इसलिए अब पराली जलाने पर सख्त पाबंदी लगा दी गई है, जिससे पर्यावरण और मिट्टी की रक्षा की जा सके.
कृषि वैज्ञानिक किसानों को कर रहे हैं जागरूक
ऐसे में आप एक खास कृषि यंत्र की मदद ले सकते हैं. जिससे खेतों में ही परली को नष्ट किया जा सकता है. वहींं, दूसरी और कुछ किसान पराली को उठाकर जानवरों के भोजन के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. वहीं, कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप बिसेन लगातार किसानों के बीच में जाकर पराली न जलाने के लिए अपील भी कर रहे हैं और पराली को खेतों में ही नष्ट करने के लिए किसानों को जागरूक भी कर रहे हैं.
खेतों की ऐसे बढ़ाएं उर्वरता शक्ति
मल्चर एक आधुनिक कृषि यंत्र है, जो फसल अवशेषों को खेत में ही बारीक टुकड़ों में काट देता है. यह यंत्र मिट्टी में अवशेषों को मिला देता है, जिससे खेतों की उर्वरता बढ़ती है और अगली फसल की बुवाई सरल हो जाती है. मल्चर का उपयोग करके किसान बिना पराली जलाए धान और गन्ना के अवशेषों को नष्ट कर सकते हैं. ये यंत्र अवशेषों को बारीक टुकड़ों में काटकर मिट्टी में दबा देता है, जिससे खेत में खाद तैयार होती है और खरपतवार की समस्या कम होती है.
गन्ना की हारवेस्टिंग के बाद बचे पत्तों को मल्चर छोटे टुकड़ों में काटकर खेत में फैला देता है, जिससे नमी बनी रहती है और पत्तियां धीरे-धीरे खाद में बदल जाती हैं. उन्होंने कहा कि पराली जलाने से पर्यावरण को काफी नुकसान होता है.
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FIRST PUBLISHED : November 12, 2024, 12:04 IST