लखीमपुर खीरी: यूपी के लखीमपुर जिले में किसान सर्दियों के मौसम में सिंघाड़े की खेती तेजी से कर रहे हैं. बाजारों में सिंघाड़े की डिमांड अधिक होती है. ऐसे में किसान सिंघाड़े की खेती कर लाखों रुपए भी कमा रहे हैं. सिंघाड़े की खेती करने के लिए किसानों को अधिक रुपए की जरूरत नहीं होती है. अगर आपका खुद का तालाब है तो आप खेती कर सकते हैं. इसके अलावा आप सरकारी तालाब पर भी खेती कर सकते हैं.
भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां की अधिकांश आबादी खेती किसानी पर ही निर्भर है. यहां के लोग मौसम, जलवायु के अनुसार विभिन्न फसलों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाते हैं. यूपी के लखीमपुर जनपद स्थित तराई क्षेत्र में किसान बड़े पैमाने पर सिंघाड़े की खेती होने लगी है.
10 सालों से कर रहे हैं सिंघाड़े की खेती
जनपद के बस्तौली गांव निवासी किसान अनोखे लाल 10 सालों से लगातार सरकारी तालाब पर सिंघाड़े की खेती कर रहे हैं और अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं. सिघाड़े की खेती से किसान मुनाफा भी कमा रहे हैं. उन्होंने बताया कि इससे उन्हें तगड़ा मुनाफा भी हो रहा है.
4 माह में तैयार हो जाती है फसल
किसान अनोखे लाल ने बताया सिंघाड़े की खेती को अंग्रेजी में ‘वाटर चेस्ट नट’ कहा जाता है. यह एक ऐसी फसल है, जो पानी में ही उगाई जाती है. इसकी खेती कर किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. सिंघाड़े की फसल रोपाई के 4 माह बाद तैयार हो जाती है. वहीं, अन्य फसलों के मुकाबले सिंघाड़े की खेती में दोगुना अधिक मुनाफा होता है. सिंघाड़े की गुणवत्ता की बात करें तो साफ पानी में चमकदार सिंघाड़ा होता है और उसमें मिठास भी अधिक होता है.
जानें किस भाव से बिकता है सिंघाड़ा
अनोखे लाल ने बताया कि अक्टूबर के महीने में सिंघाड़ा बाजारों में अच्छे दामों पर बिकना शुरू हो जाता है. किसानों को उस समय सिंघाड़े से अधिक मुनाफा भी होता है. यही वजह है कि सिंघाड़े की खेती कर रहे हैं. जिले के थोक बाजार में सिंघाड़ा 20 से 30 रुपए प्रति किलों की दर से बिक रहा है, लेकिन किसान सिंघाड़े को फुटकर में बेचते हैं. इसमें 30 से 40 रुपए प्रति किलो का रेट मिल जाता है. जिससे एकमुश्त रुपए मिल जाता है.
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FIRST PUBLISHED : October 23, 2024, 09:46 IST