रजत कुमार /इटावा: उत्तर प्रदेश के इटावा शहर में पले-बढ़े सुरेंद्र पाल, जो आज के समय के एक प्रसिद्ध कलाकार हैं, ने अपने बचपन की यादों को ताजा किया है. वे महाभारत में द्रोणाचार्य की भूमिका निभाकर देशभर में चर्चित हुए थे. सुरेंद्र का प्रारंभिक जीवन इटावा में उनके डिप्टी एसपी पिता के साथ बीता, और इस शहर से उनका गहरा जुड़ाव हमेशा बना रहा है.
इटावा की मिट्टी का प्रेम
सुरेंद्र पाल ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि वे अपनी शिक्षा इटावा में पूरी करने के बाद भी इस शहर से अपने प्रेम को नहीं भूल पाए. जब भी उन्हें अवसर मिलता है, वह इटावा लौटते हैं. उन्होंने इटावा के के.के. कॉलेज में सरदार बल्लभभाई पटेल समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया और बचपन की यादों को ताजा किया.
स्कूल के दिन और प्रारंभिक शिक्षा
सुरेंद्र पाल के बचपन के दिनों की यादें आज भी ताज़ा हैं. उन्होंने राजकीय इंटर कालेज से अपनी प्रारंभिक शिक्षा ली और इसके बाद के.के. डिग्री कॉलेज में अध्ययन किया. वह अपने पिता के साथ डीएम चौराहे के पास एक किराए के मकान में रहते थे, जहाँ का किराया उस समय केवल 15 या 20 रुपये हुआ करता था.
अभिनय का सफर
1977 में सुरेंद्र ने गाजियाबाद से मुंबई की ओर रुख किया और रोशन तनेजा की एक्टिंग क्लास जॉइन की. 1982 में उन्होंने शबाना आजमी के साथ पहली फिल्म “शमा” में काम किया. उनकी पहली फिल्म ने उन्हें इटावा के दोस्तों के बीच भी पहचान दिलाई.
महाभारत में द्रोणाचार्य की भूमिका
1988 में उन्हें महाभारत में द्रोणाचार्य की भूमिका मिली, जिसने उन्हें पूरे देश में प्रसिद्धि दिलाई. उन्होंने कहा, “यह भूमिका चुनौती के रूप में थी और मैंने इसे स्वीकार किया.” 35 साल के टीवी सीरियल के सफर में उन्होंने लगभग 10,000 एपिसोड किए हैं.
इटावा की पहचान
सुरेंद्र के मशहूर किरदारों में “सूर्यपुत्र कर्ण”, “शक्तिमान”, “देवों के देव महादेव”, “दिया और बाती हम”, “रहने वाली महलों की”, “लेफ्ट राइट”, और “विष्णु पुराण” शामिल हैं. इटावा की मिट्टी आज भी उनकी यादों में बसी है, और वे इसे कभी नहीं भूलेंगे.
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FIRST PUBLISHED : November 5, 2024, 12:53 IST