इटावा: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इटावा जिले के लगभग एक दर्जन प्राचीन मंदिरों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने का फैसला किया है. राज्य के पर्यटन विभाग ने चंबल घाटी से जुड़े मंदिरों सहित अन्य ऐतिहासिक मंदिरों का कायाकल्प करने की योजना बनाई है. यह कदम इटावा में पर्यटकों की संख्या को बढ़ाने और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है.
पर्यटन मंत्रालय से मिली इस योजना के तहत सिद्धपीठ नीलकंठ मंदिर और भरेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है, जिसमें करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं. फिलहाल, इस कार्य का 95% हिस्सा पूरा हो चुका है. पर्यटन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर कल्याण सिंह ने आर्किटेक्ट टीम के साथ सर्वे करने के बाद इन मंदिरों के नवीनीकरण कार्य का निरीक्षण किया और उसे शुरू करवाया.
कालेश्वर मंदिर का भी सौंदर्यीकरण
नीलकंठ मंदिर के साथ चकरनगर स्थित कालेश्वर मंदिर का भी सौंदर्यीकरण किया जा रहा है. पहले चरण में चार प्रमुख मंदिरों का विकास किया जा रहा है, जिनमें बाउंड्री वॉल, टीन शेड, बैठने की व्यवस्था, आरओ पानी की टंकी, और अन्य सुविधाएं शामिल हैं. इन सुविधाओं से पर्यटकों की संख्या में वृद्धि की उम्मीद है.
5 करोड़ का बजट
वर्तमान वित्तीय वर्ष में जिले के पांच धार्मिक स्थलों के लिए करीब पांच करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है. इस बजट के तहत लखना स्थित कालका देवी मंदिर, इटावा का प्राचीन पिलुआ महावीर मंदिर, जसवंतनगर का ब्रह्माणी देवी मंदिर, कचौरा रोड पर ब्रह्म ऋषि त्यागी जी का आश्रम, और विक्रमपुर गांव में स्थित सती का चबूतरा शामिल हैं. इन सभी धार्मिक स्थलों का सौंदर्यीकरण किया जाएगा और पर्यटकों के लिए पार्क, फव्वारा, शौचालय, और सभागार जैसी सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा.
पर्यटन को मिलेगा बढावा
जिला पर्यटन अधिकारी मोहित मनोहर सिंह ने जानकारी दी कि 2023-24 और 2024-25 की पर्यटन विकास योजनाओं के अंतर्गत इन मंदिरों में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ाने की योजना बनाई गई है. इसका उद्देश्य इटावा के ऐतिहासिक मंदिरों में पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करना और धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहित करना है.
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FIRST PUBLISHED : November 11, 2024, 11:49 IST