प्रयागराज: पिछले दिनों उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की PCS और समीक्षा अधिकारी (RO) प्रारंभिक परीक्षा के नॉर्मलाइजेशन फार्मूले और परीक्षा नियमों में बदलाव को लेकर प्रतियोगी छात्र लगातार धरने पर बैठे रहे. अब सरकार ने इन्हें बातचीत का रास्ता दिखाया है और छात्रों ने धरने को खत्म कर दिया है. छात्रों की मांग थी कि परीक्षा “वन डे, वन शिफ्ट, वन एग्जाम” के आधार पर कराई जाए और नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को पूरी तरह खत्म किया जाए.
रीजनिंग के एक्सपर्ट और संदेश अकादमी के शिक्षक रवि सिंह ने 30 सेकंड में नॉर्मलाइजेशन के फॉर्मूले को समझाते हुए छात्रों के नुकसान को उजागर किया. उन्होंने लोकल 18 से बातचीत में बताया. उनके मुताबिक इस फॉर्मूले के तहत नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया पूरी की जाती है. Percentile Score = (Number of Students in Shift × Raw Score) ÷ Total Number of Appearing Students in Shift
उधारण से समझें
रवि सिंह ने उदाहरण देकर समझाया कि अगर एक शिफ्ट में एक छात्र 50 अंक प्राप्त करता है और दूसरी शिफ्ट में 40 अंक लाने वाला छात्र पास हो जाता है, तो यह नॉर्मलाइजेशन के कारण होता है. उन्होंने कहा कि एक शिफ्ट में अधिक छात्रों के पास होने से दूसरी शिफ्ट के छात्रों को नुकसान होता है.
उन्होंने यह भी बताया कि नॉर्मलाइजेशन के कारण छात्र 95 प्रश्न सही करने के बाद भी पास होने का भरोसा नहीं कर पाते, जिससे आत्मविश्वास की कमी होती है. इससे PCS जैसी महत्वपूर्ण परीक्षाओं की मौलिकता पर भी सवाल उठता है.
मानविकी विषयों में नॉर्मलाइजेशन मुश्किल
रवि सिंह ने स्पष्ट किया कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया गणित और रीजनिंग जैसे विषयों में आसान है क्योंकि इनके प्रश्नों का पैटर्न और फॉर्मूले समान होते हैं. लेकिन मानविकी विषयों में प्रश्नों की सरलता या कठिनाई का आकलन करना कठिन है, जिससे नॉर्मलाइजेशन करना अव्यवहारिक हो जाता है.
छात्रों की प्रमुख मांगें
- परीक्षा को “वन डे, वन शिफ्ट, वन एग्जाम” के आधार पर आयोजित किया जाए.
- नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को पूरी तरह से खत्म किया जाए.
- परीक्षा प्रणाली को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाए.
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FIRST PUBLISHED : November 17, 2024, 13:22 IST