बदायूं. उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्पीड़न के मामले में हैरान करने वाल फैसला सुनाया. कोर्ट ने एक महिला के दहेज प्रथा के केस को रद्द कर दिया. विवाहित देवर और दो ननद के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का आरोप रद्द कर दिया है. इस केस को खत्म करते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की है कि दहेज मांगना अपराध है, लेकिन कम दहेज मिलने पर ताना मारना अपराध नहीं है.
दरअसल, यूपी के बदायूं जिले के बिल्सी थाना इलाके की रहने वाली विवाहिता ने उत्पीड़न का केस दर्ज कराया था. महिला की शादी साल 2017 में शब्बन खान के साथ हुई थी. इसके बाद पीड़िता ने दिसंबर महीने में पति, सास शाहीदान खान, देवर अच्छे खान, ननद महताब और कुमारी निदा के खिलाफ मारपीट की शिकायत दर्ज कराई थी और दहेज की मांग करने का आरोप भी लगाया था.
यह भी पढ़ेंः Char Dham Yatra 2024: यमुनोत्री धाम पर जाना नहीं होगा आसान, लग गई धारा 144, जानें क्या हैं नए नियम
शिकायत में पीड़िता का कहना था कि उनकी शादी धूमधाम से कराई गई, लेकिन पति कार की डिमांड कर रहा था. यह नहीं दिये जाने पर ससुराल वाले अक्सर ताना मारते थे. इसके बाद उन्होंने कम दहेज देने का ताना मारते हुए मारपीट शुरू कर दी और घर से निकाल दिया. इस पर पुलिस ने शिकायत दर्ज कर ली थी. मामला हाईकोर्ट जा पहुंचा.
पति ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, लेकिन साल 2018 में शब्बान की याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी. कोर्ट में केस लंबित रहने के दौरान ही सास की मौत हो गई. इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए केस खारिज कर दिया. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पीड़िता की ओर से दहेज मांगने का आरोप स्पष्ट प्रकृति का नहीं है. मारपीट के आरोप लगाए गए हैं, लेकिन कोई मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई. उत्पीड़न के आरोप सामान्य प्रकृति के हैं. दहेज मांगना अपराध है, लेकिन कम दहेज का ताना मारना दंडनीय नहीं है.
Tags: Unique news, UP news, Uttar pradesh news
FIRST PUBLISHED : May 22, 2024, 10:57 IST