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Friday, January 24, 2025

डोनाल्ड ट्रंप ने टिकटॉक को क्यों दिया 'समय', क्या अमेरिका में बिक जाएगी यह साइट

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नई दिल्ली:

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शार्ट वीडियो शेयर करने वाली साइट टिकटॉक को लेकर एक कार्यकारी आदेश जारी किया है. इसमें टिकटॉक को 75 दिन का समय दिया गया है. इस दौरान उस पर कोई बैन नहीं रहेगा. सरकार ने अटॉर्नी जनरल को निर्देश दिया है कि वे इस दौरान टिकटॉक पर बैन लगाने वाले कानून को लागू करने के लिए कोई कार्रवाई न करें. इससे पहले 19 जनवरी को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद इस ऐप ने अमेरिका में काम करना बंद कर दिया था.लेकिन ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले ही टिकटॉक ने अमेरिका में काम करना शुरू कर दिया है. इसके साथ ही इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि इस हफ्ते तक अमेरिका में टिकटॉक का सौदा हो सकता है.

अमेरिका ने टिकटॉक पर क्यों लगाई पाबंदी

दरअसल अप्रैल में 2024 में तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडन ने टिकटॉक पर पाबंदी लगाने वाले विधेयक पर दस्तखत किए थे. इस विधेयक को अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों ने बहुमत से पारित किया था.इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए टिकटॉक पर पाबंदी लगाने की बात कही गई थी.अधिकारियों का कहना था कि टिकटॉक को चलाने वाली कंपनी बाइटडांस एक चीनी कंपनी है, इसे देखते हुए अमेरिकी नागरिकों के डेटा के गलत इस्तेमाल की आशंका है. इस विधेयक के तहत टिकटॉक की मूल कंपनी बाइटडांस को ऐप से अलग होने या अमेरिकी एप स्टोर से पाबंदी का सामना करने के लिए 270 दिन का समय दिया गया था. यह समय सीमा इस साल 19 जनवरी को खत्म हो गई. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को टिकटॉक पर पाबंदी लगाने वाले कानून के पक्ष में फैसला सुनाया. इस पाबंदी से टिकटॉक तभी बच सकता था, जब इसकी पेरेंट कंपनी बाइटडांस इसे किसी मान्यता प्राप्त अमेरिकी कंपनी को बेच दे. लेकिन इसके पहले शनिवार से ही टिकटॉक ने अमेरिका में काम करना बंद कर दिया.

अमेरिका ने अप्रैल में 2024 में टिकटॉक पर पाबंदी लगाने वाला विधेयक पास किया था.

टिकटॉक पर पहले क्या सोचते थे ट्रंप

इससे पहले 2020 में डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में एक कार्यकारी आदेश जारी किया था. इसमें कहा गया था कि टिकटॉक का डेटा कलेक्शन शायद चीन को सरकारी कर्मचारियों और कॉन्टैक्टरों के लोकेशन ट्रैक करने, उनकी निजी जानकारियों को ब्लैकमेलिंग के लिए इस्तेमाल करने और जासूसी करने में मदद कर सकता है. लोगों को टिकटॉक पर विश्वास इसलिए नहीं होता है कि बाइटडांस एक चीनी कंपनी है. 

राष्ट्रपति पद की शपथ लेने से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को एक रैली में कहा था कि अगर ईमानदारी से कहूं तो हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. हमें इस बचाना होगा. उन्होंने कहा था कि इसे बचाने के लिए एक ज्वाइंट बेंचर बनाना होगा. अमेरिकी में करीब 17 करोड़ लोग टिकटॉक का इस्तेमाल करते हैं. ट्रंप की इस रैली से पहले ही टिकटॉक ने अपने यूजर्स से कहा था कि ट्रंप के प्रयासों का परिणाम है कि टिकटॉक अमेरिका में वापस आ गया है. टिकटॉक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शू जी च्यू ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे.

टिकटॉक को क्यों बचाना चाहते हैं डोनाल्ड ट्रंप

कार्यकारी आदेश जारी करने के बाद ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्रूथ सोशल पर कहा कि ज्वाइंट वेंचर में अमेरिका की 50 फीसदी की मालिकाना हिस्सेदारी हो. उन्होंने कहा कि वो लोगों की नौकरियां बचाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि हम अपना बिजनेस चीन को नहीं देना चाहते हैं. इसके बाद से टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क और आरकेल के सीईओ लैरी एलिसन और मिस्टर बिस्ट के नाम से मशहूर जेम्स जिमी डोनाल्डसन इसके संभावित खरीदार के रूप में सामने आए हैं. ओरेकल के पास ही अमेरिका में टिकटॉक के अधिकांश सर्वर हैं. इन दोनों के अलावा भी टिकटॉक के कई संभावित खरीदार हैं.

टिकटॉक के सीईओ शू जी च्यू ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे.

टिकटॉक के सीईओ शू जी च्यू ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे.

इस बीच बाइटडांस के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के एक सदस्य का कहना है कि इस हफ्ते के अंत तक इस दिशा में काम शुरू हो जाएगा. इसमें अमेरिकी और चीनी सरकारों के साथ-साथ कंपनी और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर को शामिल होना होगा. 

भारत में अभी भी लगी हुई है पाबंदी

टिकटॉक 2018 में दुनिया में सबसे अधिक डाउनलोड किया जाने वाले ऐप में से एक था.भारत में भी इसके 20 करोड़ से अधिक यूजर थे.लेकिन जून 2020 में भारत सरकार ने आपातकालीन उपाय और राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए 59 ऐप पर पाबंदी लगा दी थी. इनमें टिकटॉक भी शामिल था.भारत ने यह पाबंदी सुरक्षा, संप्रभुता और देश की अखंडता की रक्षा के लिए लगाई थी.उस समय सरकार ने कहा था कि वह भारत के नागरिकों के डेटा और निजता में किसी तरह की सेंध नहीं चाहती  है.भारत में जिस समय टिकटॉक पर बैन लगा उस समय भारत और चीन में सीमा विवाद चरम पर था. 

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