नई दिल्ली:
US Iran Israel conflict: ईरान में तनाव की दोहरी मार पड़ रही है. शिया मुस्लिम बहुल इस देश में पहले से ही इजरायल के साथ युद्ध के विस्तार का खतरा मंडरा रहा है वहीं अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी बजने लगी है. यह खतरा अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump victory in US elections) की जीत से आ गया है. ईरान की करेंसी रियाल (Iran Currency Rial) अब अमेरिकी डॉलर (US Dollar) की तुलना में रसातल पर चली गई है. इसका असर सीधा ईरान की अर्थव्यवस्था (Economy of Iran) पर पड़ना लाजमी हो गया है. एक डॉलर में इस समय करीब सात लाख रियाल आ जाएंगे. दो दिनों से रियाल की स्थिति अंतरराष्ट्रीय बाजार में इतनी गिरी हुई है.
डॉलर की तुलना में रियाल में तेज गिरावट
अमेरिका में ट्रंप की जीत के बाद रियाल में एक तीव्र गिरावट जरूर आई है. लेकिन अमेरिकी डॉलर की तुलना में रियाल में यह गिरावट पिछले कुछ महीनों से लगातार चली आ रही थी. इजरायल के साथ साथ जब से ईरान का तनाव आरंभ हुआ और एक दूसरे पर मिसाइलों से हमला किया गया है तब से यह गिरावट शुरु हो चुकी है. गौरतलब है कि ईरान ने इजरायल पर अप्रैल और अक्तूबर में हमला किया था. इजरायल की ओर से भी दोनों बार जवाबी कार्रवाई की दी गई है. ईरान की करेंसी के गिरने का दूसरा सबसे बड़ा कारण यह है कि देश में सरकार महंगाई को काबू में रखने में नाकाम रही है.
ईरान के लोगों में भय का माहौल
ईरान में ऐसे हालात बनने की वजह से स्थानीय लोगों में भय का माहौल बन गया है. इस माहौल ने हालात को बिगाड़ने की आग में इस भय ने घी का काम किया है. लोगों ने इस डर के माहौल में ईरानी करेंसी के बदले डॉलर और सोना खरीदने पर ज्यादा जोर दिया जिसकी वजह से ईरान को अर्थव्यवस्था में भारी नुकसान हो गया. यह तीसरा बड़ा कारण साबित हो रहा है.
अमेरिका इजरायल में बढ़ेगी मित्रता
ऐसे में जब इजरायल की वजह से पहले ही ईरान की अर्थव्यवस्था और करेंसी नीचे गिर रही थी, तब अमेरिकी चुनाव में भी डोनाल्ड ट्रंप की जीत ईरानी के लिए दूसरा बड़ा झटका साबित हुई. इसके पीछे कारण यह है कि ट्रंप का स्पष्ट रूस से इजरायल का साथ देना और ईरान के खिलाफ बयानबाजी. वैसे बाइडेन प्रशासन में भी ईरान के साथ अमेरिका के बहुत अच्छे संबंध नहीं रहे हैं. ऐसे ट्रंप ज्यादा सख्त माने जाते हैं. ईरान पर अमेरिका ने पहले ही कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं. यह सभी प्रतिबंध ईरान के परमाणु शक्ति संपन्न बनने के लिए उठाए जा रहे कदमों की वजह से लगाए गए हैं.
ईरान को बढ़ाना पड़ा डिफेंस बजट
इधर, तनाव के चलते ईरान पर अपने डिफेंस बजट को बढ़ाने का दबाव बन गया है. ऐसे में ईरान ने तेल बेचकर जो कमाई की उसका ज्यादा हिस्सा रक्षा को सदृढ़ करने में लगाना पड़ रहा है. इजरायल से तनाव बढ़ने के बाद ईरान की सरकार ने अपने डिफेंस बजट को 200 प्रतिशत तक बढ़ाने का ऐलान किया है.
इजरायल के साथ हाथ मिला सकता है अमेरिका
जानकारों का कहना है कि अब अमेरिका में ट्रंप के आने के बाद यह माना जा रहा है कि ईरान पर ट्रंप और दबाव की रणनीति पर काम करेंगे. साथ ही ट्रंप की जिस प्रकार की घोषणा रही है उससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि ट्रंप प्रशासन ईरान पर परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाने के लिए सैन्य कार्रवाई की धमकी भी दे सकता है. जिस प्रकार का माहौल बना हुआ है ऐसे में इजरायल के साथ ईरान पर कार्रवाई में अमेरिका भी हाथ मिला सकता है.
बाइडेन शासन में ईरान को मिली थी राहत
गौरतलब है कि ईरान पर ट्रंप की पिछली सरकार ने जो प्रतिबंध लगाए थे वह सब बाइडेन शासन में भी जारी रहा. लेकिन बाइडेन शासन ने पिछले दरवाजे कुछ ढील दी. इनमें ईरान की चीन को तेल की बिक्री शामिल है.
इजरायल को मिल सकती है खुली छूट
ट्रंप की जीत के बाद जानकारों का कहना है कि ईरान पर यह खतरा ज्यादा माना जा रहा है कि जिस प्रकार अमेरिका ने अपने दबाव के चलते इजरायल के हमले को सीमित रखने का काम किया था, अब ट्रंप के आने के बाद हो सकता है कि इजरायल को हमल के लिए पूरी तरह से छूट मिल जाए. अब इजरायल ईरान में तेल प्रतिष्ठानों से लेकर अन्य महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को निशाना बनाएगा जिससे ईरान की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो सकता है.
बता दें कि ट्रंप और इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के बीच गहरी दोस्ती है. ट्रंप ने जीत के बाद दुनिया के जिन तीन नेताओं से फोन पर बात की है उनमें एक बेंजामिन नेतन्याहू भी शामिल हैं.
ईरान में ट्रंप की जीत पर ठंडी प्रतिक्रिया दी
फिलहाल ईरान की ओर से जो आधिकारिक प्रतिक्रिया आई है उसमें तो यही कहना है कि ट्रंप की जीत का असर ईरान पर कुछ नहीं होगा. फतेह मोहजेरानी, ईरान के राष्ट्रपति के प्रवक्ता का कहना है कि दोनों देशों के बीच मुख्य नीतियां पहले से ही तय हैं. किसी आदमी के पद पर आने से कुछ भी नहीं बदलेगा. लेकिन, इसमें कोई दो राय नहीं है कि ईरान की सरकार महंगाई पर काबू करने और डूबती करेंसी को बचाने के लिए कदम उठाने पर जोर दे रही होगी.