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Chaitra Navratri 2025 : गोरखपुर में चैत्र नवरात्रि 2025 की शुरुआत 29 मार्च से हो रही है. यहां के 5 प्रसिद्ध देवी मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है. गोलघर काली मंदिर, बुढ़िया माता मंदिर, तरकुलहा देवी मंदिर, …और पढ़ें
कहा जाता है नवरात्र में यहां मानी गई सारी मुराद पूरी होती है.
हाइलाइट्स
- गोरखपुर में चैत्र नवरात्रि 29 मार्च से शुरू हो रही है.
- गोलघर काली मंदिर में नवरात्रि पर विशेष पूजा होती है.
- बुढ़िया माता मंदिर में नवरात्रि पर भक्तों की भीड़ रहती है.
गोरखपुर : चैत्र नवरात्रि की शुरुआत शनिवार यानि 29 मार्च से हो रही है. गोरखपुर में देवी मां को प्रसन्न करने के लिए भक्तों द्वारा विभिन्न प्रकार की पूजा के आयोजन की तैयारियां शुरू हो गई हैं. देवी मंदिरों को भी चमकाया जा रहा है. ऐसे में हम आपको गोरखपुर जिले के 5 प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं. यहां नवरात्रि में विशेष पूजा का आयोजन होता है. इन मंदिरों में पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्रि के अवसर पर यहां दूर-दराज से लोग दर्शन के लिए आते हैं. श्रद्धालुओं में मान्यता है कि माता के दरबार में शीश झुकाने वाले हर भक्त की झोली भर जाती है.
गोलघर काली मंदिर : गोरखपुर के हृदय स्थल गोलघर में स्थित काली मंदिर की स्थापना 19वीं शताब्दी में हुई थी. यह मंदिर ब्रिटिश काल में सैनिकों और स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र था. मान्यता है कि यहां की देवी प्रतिमा स्वयंभू रूप में प्रकट हुई थी। नवरात्रि में यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है और भव्य भंडारे का आयोजन किया जाता है.
बुढ़िया माता मंदिर : गोरखपुर के रेलवे स्टेशन से कुछ किलोमीटर की दूरी पर मौजूद बुढ़िया माता मंदिर अपने चमत्कारी प्रभाव के लिए प्रसिद्ध है. कहा जाता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जंगल के बीचो-बीच में बसा बुढ़िया माता मंदिर नवरात्र में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ आकर्षित करता है.
तरकुलहा देवी मंदिर : गोरखपुर से 20 किमी दूर तरकुलहा देवी मंदिर का विशेष महत्व है. यह मंदिर स्वतंत्रता सेनानी बंधु सिंह से जुड़ा हुआ है, जो अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्षरत थे. मान्यता है कि बंधु सिंह यहां देवी की उपासना कर शक्ति प्राप्त करते थे. मंदिर के पास बहने वाली नदी और विशाल पीपल वृक्ष इसकी दिव्यता को और बढ़ाते हैं.
पाटन देवी मंदिर : गोरखपुर के जंगल कौड़िया क्षेत्र में स्थित पाटन देवी मंदिर का उल्लेख महाभारत काल से मिलता है. मान्यता है कि यहां माता सती के शरीर का एक हिस्सा गिरा था, जिससे यह शक्तिपीठ बना. यहां नवरात्र के दौरान विशेष हवन और अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें हजारों भक्त हिस्सा लेते हैं.
हठी माता मंदिर : हठी माता मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. नवरात्र में श्रद्धालुओं की यहां जबरदस्त भीड़ लगती है. नवरात्र के पहले दिन से ही श्रद्धालु लंबी लाइन लगाते हैं और माता के दर्शन के लिए बेताब रहते हैं. कहा जाता है नवरात्र में यहां मानी गई सारी मुराद पूरी होती है.
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