-0.5 C
Munich
Sunday, January 12, 2025

अंतरिक्ष में नए कारनामे की तैयारी, 52 सर्विलांस सैटेलाइट्स के लॉन्च को केंद्र की मंजूरी

Must read


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (CCS) ने अंतरिक्ष आधारित सर्विलांस मिशन के तीसरे चरण को मंजूरी दे दी है। इसका मकसद सिविलियन और मिलिट्री एप्लिकेशन्स के लिए बेहतर भूमि व समुद्री डोमेन तैयार करना है। यह प्रोजेक्ट राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय की ओर से हैंडल किया जाएगा, जहां रक्षा मंत्रालय में एकीकृत मुख्यालय के तहत डिफेंस स्पेस एजेंसी भी शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार फिलहाल इस मंजूरी पर चुप है। हालांकि, माना जा रहा है कि प्रस्ताव में निगरानी के लिए लो अर्थ ऑर्बिट और भूस्थैतिक कक्षा में 52 उपग्रहों का प्रक्षेपण शामिल है। 26,968 करोड़ रुपये की लागत वाली यह परियोजना है। इसके तहत इसरो की ओर से 21 उपग्रहों का निर्माण व प्रक्षेपण होगा। बाकी 31 सैटेलाइट्स की जिम्मेदारी निजी कंपनियों के पास होगी।

अंतरिक्ष आधारित सर्विलांस (SBS) 1 की शुरुआत साल 2001 में वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में हुई थी। इसमें निगरानी के लिए 4 उपग्रहों (कार्टोसैट 2A, कार्टोसैट 2B, इरोस B और रिसैट 2) का प्रक्षेपण शामिल था। एसबीएस 2 के तहत साल 2013 में 6 उपग्रहों (कार्टोसैट 2सी, कार्टोसैट 2डी, कार्टोसैट 3ए, कार्टोसैट 3बी, माइक्रोसैट 1 और रिसैट 2ए का लॉन्च शामिल था। अब एसबीएस 3 के तहत अगले दशक के भीतर 52 उपग्रह लॉन्च करने का टारेगट रखा गया है। हिन्दुस्तान टाइम्स को पता चला है कि तीनों सर्विसेज के पास अपने भूमि, समुद्र या वायु-आधारित मिशनों के लिए उपग्रह होंगे।

दुश्मन की पनडुब्बियों का कैसे लगाएं पता

केंद्र सरकार बीते जनवरी में सैन्य उपग्रहों के संयुक्त निर्माण और प्रक्षेपण के लिए फ्रांस के साथ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर कर चुकी है। फिहहाल भारत का ध्यान उन क्षमताओं को हासिल करने पर है जो इंडो-पैसिफिक में दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगा सकें। साथ ही, सीमा से लगे जमीनी और समुद्री इलाकों में बुनियादी ढांचे के निर्माण को ट्रैक कर सकें। SBS 3 मिशन को अमेरिका स्थित जनरल एटॉमिक्स से 31 प्रीडेटर ड्रोन के भारतीय अधिग्रहण में मदद मिलेगी। बताया जा रहा है कि इस प्लेटफॉर्म में वेपन पैकेज के अलावा बहुत शक्तिशाली निगरानी क्षमताएं हैं। भारत ने 29 मार्च, 2019 को टेस्ट फायरिंग के जरिए अपनी एंटी-सैटेलाइट क्षमताओं का परीक्षण किया, जब भारतीय मिसाइल ने कक्षा में जीवित उपग्रह को नष्ट कर दिया था।



Source link

- Advertisement -spot_img

More articles

- Advertisement -spot_img

Latest article