बुलंदशहर: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के कस्बा छतारी में स्थित जामा मस्जिद जिले की सबसे बड़ी और पुरानी मस्जिदों में से एक है. यह मस्जिद लगभग 400 साल पुरानी है और इसे नवाबों की मस्जिद कहा जाता है. मस्जिद के इमाम मोहम्मद हनीफ बताते हैं कि यह मस्जिद उस दौर की है जब भारत को आज़ादी नहीं मिली थी. इस मस्जिद में जिले के विभिन्न हिस्सों से मुसलमान नमाज पढ़ने आते थे.
इमाम मोहम्मद हनीफ के अनुसार, जामा मस्जिद बुलंदशहर जिले की सबसे बड़ी मस्जिद रही है. पहले यहां बड़ी संख्या में लोग नमाज पढ़ने आते थे, लेकिन अब नई मस्जिदों के बनने से यहां आने वालों की संख्या में कमी आई है. मस्जिद के अंदर बना हौज एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें पानी भर दिया जाता है ताकि नमाज से पहले लोग वुजू (शरीर की शुद्धता के लिए आवश्यक प्रक्रिया) कर सकें.
नमाज पढ़ने की परंपरा
इस्लाम में नमाज पढ़ने के लिए जगह का पवित्र और स्वच्छ होना अनिवार्य है. नमाज पढ़ने से पहले, लोग जाए-नमाज (कपड़ा या चटाई का टुकड़ा) बिछाते हैं, जिसे मुसल्ला भी कहा जाता है. यह कपड़े का आयताकार टुकड़ा होता है, जो विशेष रूप से नमाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है. मुसलमान इसे अपनी यात्रा के दौरान भी साथ रखते हैं, ताकि कहीं भी नमाज अदा कर सकें. नमाज पढ़ने के लिए चटाई, गलीचा, या कालीन का भी उपयोग किया जाता है. इस्लामी मान्यता के अनुसार, जहां नमाज पढ़ी जाती है. वह स्थान पवित्र होना चाहिए, और नमाज के दौरान स्वच्छता का ध्यान रखना आवश्यक है.
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छतारी के निवासियों के लिए प्रमुख है ये मस्जिद
जामा मस्जिद के संरक्षण और इसके ऐतिहासिक महत्व को समझते हुए यह मस्जिद आज भी छतारी के निवासियों के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल है. हालांकि, समय के साथ नए मस्जिदों के निर्माण ने यहां आने वालों की संख्या को कम किया है, लेकिन इसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व अब भी बना हुआ है.
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FIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 14:12 IST