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Monday, February 24, 2025

AMU मे मौजूद है एशिया की दूसरी सबसे बड़ी लाइब्रेरी, जानें खासियत और इतिहास

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Agency:News18 Uttar Pradesh

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अलीगढ़ की मौलाना आजाद लाइब्रेरी एशिया की दूसरी सबसे बड़ी लाइब्रेरी है, जिसमें 14 लाख किताबें और दुर्लभ पांडुलिपियाँ हैं. इसे ‘मिनी इंडिया’ कहा जाता है और यह 1877 में स्थापित हुई थी.

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AMU में मौजूद एशिया की दूसरी सबसे बड़ी लाइब्रेरी.

हाइलाइट्स

  • मौलाना आजाद लाइब्रेरी एशिया की दूसरी सबसे बड़ी लाइब्रेरी है.
  • लाइब्रेरी में 14 लाख किताबें और दुर्लभ पांडुलिपियाँ हैं.
  • लाइब्रेरी को ‘मिनी इंडिया’ के रूप में जाना जाता है.

अलीगढ़: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में स्थित मौलाना आजाद लाइब्रेरी सिर्फ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी ही नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक धरोहर भी है. यह लाइब्रेरी ज्ञान का वह भव्य केंद्र है, जहां किताबों का विशाल भंडार मौजूद है. 4.75 एकड़ में फैली इस 7 मंजिला इमारत में लगभग 14 लाख किताबें रखी गई हैं, जिनमें कई दुर्लभ पांडुलिपियाँ और ऐतिहासिक ग्रंथ शामिल हैं. यह अनोखा खजाना इस लाइब्रेरी को अलीगढ़ के सबसे मशहूर स्थानों में से एक बनाता है.

एशिया की दूसरी सबसे बड़ी लाइब्रेरी
कहा जाता है कि मौलाना आजाद लाइब्रेरी एशिया की दूसरी सबसे बड़ी लाइब्रेरी है, जहां हर दिन हजारों की संख्या में छात्र, शोधकर्ता और पर्यटक आते हैं. इसकी स्थापना 1877 में लॉर्ड रॉबर्ट बुलवर लिटन द्वारा की गई थी और शुरुआत में इसे लिटन लाइब्रेरी के नाम से जाना जाता था. मौजूदा इमारत का उद्घाटन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था. बाद में इसका नाम बदलकर देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के नाम पर रखा गया, जिन्होंने भारतीय शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई थी.

अनमोल किताबों और पांडुलिपियों का खजाना
मौलाना आजाद लाइब्रेरी सिर्फ किताबों का भंडार नहीं, बल्कि दुर्लभ पांडुलिपियों और ऐतिहासिक ग्रंथों का संग्रहालय भी है. यहाँ इस्लाम और हिंदू धर्म से जुड़ी लगभग 16,117 दुर्लभ किताबें उपलब्ध हैं. इसमें 1400 साल पुरानी कुरान की एक पांडुलिपि भी मौजूद है, जो इसे और भी खास बनाती है. इसके अलावा, यहाँ अबुल फ़ज़ल द्वारा किया गया भगवत गीता का फारसी अनुवाद भी सुरक्षित रखा गया है. वही, इस लाइब्रेरी में ऐतिहासिक दस्तावेज, संस्कृत ग्रंथ, अरबी-फारसी साहित्य, और विज्ञान, कला व इतिहास से जुड़ी कई प्राचीन किताबें भी संरक्षित हैं.

‘मिनी इंडिया’ की उपाधि
यह लाइब्रेरी अपने समृद्ध संग्रह और भव्य संरचना के कारण ‘मिनी इंडिया’ के रूप में जानी जाती है. यहां देश के अलग-अलग हिस्सों से आए छात्र और शोधकर्ता पढ़ाई करते हैं, जिससे यह विविधता का प्रतीक बन गया है. लाइब्रेरी में हर दिन लगभग 8 हजार से अधिक लोग अध्ययन के लिए आते हैं और यह रात 2 बजे तक खुली रहती है ताकि छात्रों को पढ़ाई में कोई परेशानी न हो. एएमयू के पीआरओ विभाग के सलाहकार जीशान अहमद के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी भव्यता और समृद्ध संग्रह की तारीफ की थी. उनकी पहल पर ही इस लाइब्रेरी को ‘मिनी इंडिया’ की उपाधि दी गई.

ज्ञान के इस अद्भुत खजाने को जरूर देखें!
अगर आप किताबों के शौकीन हैं और ऐतिहासिक धरोहरों में रुचि रखते हैं, तो यह लाइब्रेरी आपके लिए किसी खजाने से कम नहीं है. यहाँ आकर आप न केवल दुर्लभ पुस्तकों को देख सकते हैं, बल्कि एक ऐसी जगह को महसूस कर सकते हैं जहां ज्ञान और इतिहास सदियों से संजोया गया है.

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