नई दिल्ली. सिनेमा की दुनिया की चमचमाती दुनिया के पीछे स्टार्स और पूरी क्रू टीम की मेहनत और सालों का स्ट्रगल देखने को मिलता है. एक-दो नहीं कई स्टार्स के शुरुआती स्ट्रग्ल की कहानियों को आपने सुना होगा. कोई घर से सिर्फ 500 रुपये लेकर मुंबई पहुंचा तो किसी ने लोगों के घरों में जाकर पंखें और एसी ठीक किया. किसी को सफलता का स्वाद चखने को जल्दी मिल गया तो कोई सालों तक अपने जूतों को घिसता रहा. बॉलीवुड से लेकर साउथ और हॉलीवुड में अपना जादू दिखाने वाला एक नायाब हीरा, जिसने लोगों को ये बता दिया कि अगर आप उम्मीदों के पक्के हैं, तो सफलता आपके कदम जरूर चूमेगी.
भारत की सबसे महंगा म्यूजिक कंपोजर, जिन्होंने जिस दिन भारतीय फिल्मों की दुनिया में कदम रखा, उसी दिन इंडियन म्यूजिक कंपोजीशन फील्ड में जैसे रिवोल्यूशन आ गया. इस्लाम का हुआ असर तो इस नामी कलाकार ने धर्म बदल लिया और 11 साल की उम्र में दोस्त के बैंड में काम किया. इनकी मां ने अपने गहने बेचे, तब ये पहला रिकॉर्डर खरीद पाए थे. कभी पाई पाई के लिए मोहताज हुए, नामी म्यूजिक कंपोजर आज 2000 करोड़ के मालिक हैं.
पुरानी यादों में खोए एआर रहमान
ये कोई और नहीं बल्कि संगीत उस्ताद एआर रहमान हैं, जिन्होंने इम्तियाज अली की नवीनतम फिल्म ‘अमर सिंह चमकीला’ में अपने काम के लिए प्रशंसा बटोरी हैं. हाल ही में उन्होंने उस समय के बारे में खुलासा किया जब उनके पास जरूरी उपकरण खरीदने के लिए पैसे नहीं थे जो उन्हें संगीत बनाने में मदद करते. नेटफ्लिक्स के लिए इम्तियाज अली, मोहित चौहान और इरशाद कामिल के साथ बातचीत के दौरान रहमान पुरानी यादों में खो गए. उन्होंने कभी कॉलेज न जाने, बचपन में संगीत के संपर्क में आने, अपना स्टूडियो खोलने के साथ कई मसलों पर बात की.
एआर रहमान आज दुनिया भर में किसी खास पहचान की जरूरत नहीं है.
’12 साल में मेरे पास ढेरों सवाल थे…’
उन्होंने उस समय को याद करते हुए जब उन्होंने एक बच्चे के रूप में संगीत की खोज की थी. रहमान ने साझा किया, ‘मेरे पास बहुत सारे सवाल थे. मैं कॉलेज नहीं गया इसलिए मुझे लगा जैसे मैं कुछ खो रहा हूं. जब मैं 12 साल का था, तो मैं 40 और 50 की उम्र के लोगों से मिला करता था. मेरी बोरियत ने मुझे कई अन्य चीजें सुनने, जानने के लिए प्रेरित किया कि दूसरी तरफ क्या था. वह शानदार था. वहां बहुत कुछ था.
‘स्टूडियो बनाया, लेकिन सिर्फ एक शेल्फ और कालीन के साथ बैठा था’
एआर रहमान ने उस समय को भी याद किया जब उन्होंने अपना स्टूडियो शुरू किया था और उनके पास उपकरण खरीदने के लिए पैसे नहीं थे. उन्होंने बताया कि उनकी मां ने उनका पहला रिकॉर्डर खरीदने के लिए अपने गहनें बेच दिए थे. उन्होंने कहा कि जब मैंने अपना स्टूडियो बनाया, तो मेरे पास एम्पलीफायर या इक्वलाइजर खरीदने के लिए पैसे नहीं थे. वहां सिर्फ एक शेल्फ और कालीन के साथ एक एसी था. मैं वहां बैठा रहता था और मेरे पास कुछ भी खरीदने के लिए पैसे नहीं होते थे. मैंने इसे बनाया और बिना किसी उपकरण के अंदर बैठा था. मेरा पहला रिकॉर्डर तब आया जब मेरी मां ने अपने गहने गिरवी रखने के लिए दिए. तभी मुझे सशक्त महसूस हुआ. मुझे अपना भविष्य दिखाई दे रहा था और उसी क्षण मैं बदल गया.
म्यूजिक कंपोजर के मुसलमान बनने के पीछे की कहानी बेहद दिलचस्प है.
11 साल की उम्र से कर रहे हैं काम
एआर रहमान जब 9 साल के थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया था. उनके पिता के निधन के बाद घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई थी तब उनकी मां ने पिता के म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स को उधार पर देकर घर चलाती थीं. एआर रहमान महज 11 साल की उम्र में अपने बचपन के दोस्त शिवमणि के साथ ‘रहमान बैंड रुट्स’ के लिए सिंथेसाइजर बजाने का काम करते थे. चेन्नई के बैंड ‘नेमेसिस एवेन्यू’ की स्थापना में भी उनका अहम योगदान रहा. वह पियानो, हारमोनयिम, गिटार भी बजा लेते थे.
इस्लाम का हुआ असर तो बदला धर्म
एआर रहमान की मां को सूफी संत पीर करीमुल्लाह शाह कादरी पर बहुत भरोसा था. हालांकि, उनकी मां हिंदू धर्म को मानती थीं. एआर रहमान ने एक पुराने इंटरव्यू में बताया था कि जब 23 साल की उम्र में उनकी बहन की तबीयत बेहद खराब हो गई थी तो वे पूरे परिवार के साथ इस्लामिक धार्मिक स्थल गईं. इसके बाद उनकी बहन स्वस्थ हो गई. इसका म्यूजिक कंपोजर पर इतना असर हुआ कि उन्होंने धर्म बदलकर इस्लाम स्वीकार कर लिया था.
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FIRST PUBLISHED : May 15, 2024, 10:02 IST