नई दिल्ली. विनोद खन्ना बॉलीवुड का वो स्टार थे, जिनके लिए एक दौर में कहा जाता था कि इंडस्ट्री को वो सितारा मिल गया, जो अमिताभ बच्चन को टक्कर दे सकता है. लेकिन कहते हैं कि आपकी जिंदगी कभी-कभी अचानक उस मोड़ में आ जाती है कि सही और गलत का फैसला आप नहीं कर पाते. कुछ ऐसा ही विनोद खन्ना के साथ भी हुआ. एक के बाद एक फिल्में के ऑफर हाथ में लेकिन उन्होंने कई मेकर्स को साइनिंग अमाउंट लौटा दी. क्योंकि एक्टिंग छोड़ उन्होंने सन्यांसी बनने का फैसला कर लिया था. विनोद खन्ना क्यों सन्यांसी बने इसके बारे में खुद एक्टर ने बात की थी. लेकिन, मुख्य सहायक मां आनंद शीला ने हाल ही में मैरिज लाइफ पर बात की है.
विनोद खन्ना अपने करियर के चरम पर थे जब उन्होंने अभिनय छोड़कर 1980 के दशक की शुरुआत में ओशो यानी रजनीश का शिष्य बनने का फैसला किया. वे ओरेगन, अमेरिका में ओशो की धार्मिक समुदाय रजनीशपुरम चले गए. उसी समय, शीला अंबालाल पटेल, जिन्हें लोकप्रिय रूप से मां आनंद शीला के नाम से जाना जाता है, रजनीश के साथ काम कर रही थीं और कम्यून में बॉलीवुड स्टार से बातचीत करती थीं.
‘उनके पास घर पर सब कुछ था, लेकिन वह खुश नहीं थे’
अब, एक नए इंटरव्यू में, उन्होंने दावा किया कि विनोद अपनी पत्नी गीतांजलि खन्ना के साथ अपनी शादी में संघर्ष कर रहे थे. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि वे शराब के साथ भी संघर्ष कर रहे थे. पिंकविला से बात करते हुए, मां आनंद शीला ने कम्यून में विनोद खन्ना को देखने की याद ताजा की और साझा किया, ‘वह बड़े स्टार थे, लेकिन मेरे लिए वह सिर्फ एक और संन्यासी थे.’ उन्होंने फिर मजाक में कहा, ‘मैं वहां बड़ी सेलिब्रिटी थी.’ विनोद के बारे में आगे बात करते हुए, मां आनंद शीला ने कहा, ‘उनके पास घर पर सब कुछ था, लेकिन वह खुश नहीं थे. इसके साथ वो शराब का सेवन करते थे. यह एक बुरा कॉम्बिनेशन है: असंतोष और शराब. शादीशुदा जिंदगी में समस्याएं दुनिया में बहुत आम हैं. वे किसी को बना या बिगाड़ सकती हैं.’
विनोद खन्ना शादीशुदा जिंदगी में समस्याओं से गुजर रहे थे?
जब उनसे पूछा गया कि क्या विनोद खन्ना शादीशुदा जिंदगी में समस्याओं से गुजर रहे थे तो उन्होंने तुरंत जवाब दिया, ‘मुझे लगता है कि यह उनका संघर्ष था, जितना मैं समझ सकती थी.’ जब उनसे पूछा गया कि क्या ओशो के आसपास रहने से उन्हें मदद मिली, तो उन्होंने कहा, ‘मैंने उनसे कभी नहीं पूछा कि क्या उन्हें आश्रम में शांति मिली.’
ओशो कम्यून में उन्होंने माली की तरह काम किया.
ओशो को लेकर जब विनोद खन्ना ने सिमी गरेवाल से की थी ये बात
ओशो से जुड़ने के अपने फैसले के बारे में बात करते हुए, विनोद खन्ना ने पहले सिमी गरेवाल को एक इंटरव्यू में बताया था, ‘मेरा मन बहुत सोच रहा था. मैं बहुत हाइपर था. मेरे विचार हर जगह थे. मैं बहुत गुस्से में था. मैं एक संतृप्ति बिंदु पर पहुंच गया था. लोग आपके बटन दबा सकते हैं और आपको प्रतिक्रिया दे सकते हैं. सब कुछ आपके नियंत्रण में नहीं है. लेकिन, मैं देखता था कि जब मैं ध्यान करता था तो ये चीजें मुझे बिल्कुल भी प्रभावित नहीं कर रही थीं’.
आपको अपने मन का मालिक बनना होगा
विनोद खन्ना ने आगे कहा था कि अपने मन का मालिक बनना होगा और ये वे चीजें थीं जिन्होंने मुझे यह कहने के लिए प्रेरित किया कि मैंने पर्याप्त कर लिया है. मैंने पर्याप्त पैसा कमा लिया है… अब, अगर मैं ध्यान में गहराई में जाना चाहता हूं, तो मुझे अपना पूरा समय देना होगा. मुझे आश्रम में रहना होगा, मुझे अपने गुरु के चरणों में रहना होगा. तो, जाहिर है, मेरे भीतर एक जरूरत थी.
रजनीशपुरम से लौटते ही दिया तलाक, की दूसरी शादी
विनोद खन्ना पांच साल तक ओरेगन में रहे. रजनीशपुरम के पतन के बाद, वे भारत लौट आए और फिर से एक्टिंग में वापसी की. अपनी वापसी के बाद, उन्होंने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया और पांच साल बाद, उन्होंने कविता दफ्तरी से शादी की. विनोद खन्ना का 2017 में 70 साल की उम्र में निधन हो गया.