नई दिल्ली. मुकेश खन्ना अपने बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में छाए रहते हैं. पिछले दिनों उन्होंने सोशल मीडिया पर शत्रुघ्न सिन्हा के बच्चों की परवरिश पर सवाल उठाए थे, जिसके बाद सोनाक्षी सिन्हा ने ‘शक्तिमान’ को मुंह तोड़ जवाब दिया था. इसके बाद शत्रुघ्न सिन्हा ने भी चुप्पी तोड़ी थी. सोशल मीडिया पर अक्सर अपनी बेबाक राय रखने वाले दिग्गज एक्टर मुकेश खन्ना ने टीवी के साथ-साथ बड़े पर्दे पर भी काम किया है. ‘शॉटगन’ फैमिली से हुई तू-तू मैं-मैं के बाद उन्होंने सीनियर्स से बदतमीजी पर बात की. उन्होंने दिलीप कुमार और राज कुमार जैसे दिग्गज स्टार्स के साथ स्क्रीन को साझा किया है. मुकेश खन्ना ने हाल ही में दिलीप कुमार और राज कुमार के साथ काम करने की अपनी कुछ यादें साझा कीं हैं.
‘सौदागर’, ‘रूही’, ‘सौगंध’, ‘तहलका’, ‘जय विक्रांता’, ‘बरसात’, ‘राजा’ जैसी कई फिल्मों में मुकेश खन्ना ने काम किया है. हाल ही में उन्होंने ईटाइम्स से खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने बॉलीवुड के दिग्गज दिलीप कुमार और राज कुमार के साथ काम करने की अपनी कुछ यादें साझा कीं.
भीष्म के कॉस्ट्यूम पहन सुभाष घई से मिलने पहुंचे थे मुकेश खन्ना
बॉलीवुड के दिग्गज कलाकारों के साथ अपने एक्सपीरियंस शेयर करते हुए, मुकेश खन्ना ने उनसे मिली चुनौतियों और सीखने के पलों के बारे में बताया. उन्होंने कहा, ‘मुझे राज कुमार और दिलीप कुमार जैसे दिग्गजों के साथ काम करने का सौभाग्य मिला है. ‘सौदागर’ में दिलीप कुमार के साथ अपने समय को याद करते हुए, मुकेश खन्ना ने एक दिलचस्प किस्सा शेयर किया. उन्होंने कहा, ‘जब मैंने ‘सौदागर’ में दिलीप साहब के साथ काम किया, तो मुझे उनका बेटा बनना था. जब सुभाष घई ने मुझसे संपर्क किया तो मैंने इस भूमिका को ठुकरा दिया था. मैं जींस पहने हुए, उनसे अपने भीष्म के कॉस्ट्यूम में मिलने गया था. मैंने उनसे कहा, ‘आपने मुझे सीधे युद्ध के सीन से उठा लिया है!’ लेकिन उन्होंने जोर दिया, ‘मुकेश, तुम दिलीप कुमार के गुस्सैल बेटे हो. तुम केवल जैकी श्रॉफ के मरने के बाद बंदूक उठाते हो.’
कैसे था दिलीप कुमार संग पहला शूट
मुकेश खन्ना का दिलीप कुमार के साथ पहला सीन एक तीव्र टकराव था. उन्होंने याद किया, पहले दिन, मालाड के एक फार्महाउस में मुहूर्त शॉट के दौरान, हमारा एक टकराव सीन था. जैकी श्रॉफ भी वहां थे. मेरा डायलॉग तीव्र था. जैकी का किरदार कहता है, ‘सुना है रामाकांत का आज सब्र टूट गया है,’ और मेरा जवाब था, ‘हां, आज हमने भी अपनी पिस्तौल से गोलियां चला दी हैं.’ दिलीप साहब, मेरे पीछे खड़े होकर, कहते हैं, ‘क्या फर्क पड़ता है? वह हमारा दोस्त है.’ मेरा जवाब था, ‘वह तुम्हारा दोस्त था. आज वह तुम्हारा दुश्मन है.’
मुकेश खन्ना और दिलीप कुमार के बीच जब आए सुभाष घई
रिहर्सल के दौरान, मुकेश खन्ना ने सीधे दिलीप कुमार की ओर उंगली उठाई, जिससे सेट पर एक तनावपूर्ण माहौल बन गया. इसके बाद बीच में सुभाष घई को आना पड़ा. उन्होंने इस तनाव को देखा और इसे शानदार तरीके से संभाला. उन्होंने कहा, ‘चलो, तुम्हारा शॉट अलग से लेते हैं और दिलीप साहब का शॉट अलग से.’ उन्हें पता था कि दिलीप साहब को सीधे चुनौती देना पसंद नहीं आएगा, फिर भी उन्होंने मेरे किरदार की आक्रामकता को समझा.’
राज कुमार के साथ काम करने का अनुभव था अनोखा
राज कुमार के साथ भी मुकेश खन्ना का अनुभव भी उतना ही अनोखा था. दिल्ली में ‘जवाब’ की शूटिंग के पहले दिन, मेरा एक सीन करिश्मा कपूर के साथ था, जो मेरी बेटी का किरदार निभा रही थीं. कहानी इस बारे में थी कि कैसे उनके पिता, राज कुमार द्वारा निभाए गए किरदार ने मुझे उनकी देखभाल सौंपी थी, जब वह छोटी थी. 16 साल बाद, राज कुमार का किरदार अपनी बेटी को वापस मांगने आता है. मेरा किरदार एक टाइकून का था, जो गुस्से में उनसे कहता है, ’16 साल तक तुम कहां थे? जब तुम्हारी जरूरत थी, तुम नहीं थे! और अब इतने सालों बाद तुम उसे अपनी बेटी कहने आए हो?’
राज कुमार शूट के दौरान नहीं मिलाते थे आंख
मुकेश खन्ना ने राज कुमार की अनूठी अभिनय शैली का वर्णन करते हुए कहा, ‘राज जी ने सीन्स के दौरान कभी भी आंख नहीं मिलायी. अगर आपने इसे स्थापित करने का कोशिश की, तो वह दूसरी ओर देखने लगेगा. एक एक्टर के रूप में, आप सहज रूप से इन चीजों को नोटिस करते हैं. मुझे बाद में एहसास हुआ कि यह सिर्फ उनके काम करने का तरीका था. उन्होंने देर रात की शूटिंग के दौरान दिलीप कुमार और राज कुमार के बीच की कलात्मकता को याद किया. उन्होंने कहा, ‘मुझे एक विशेष रात याद है, लगभग 2:30 बजे, जब दिलीप साहब और राज कुमार के बीच एक सीन फिल्माया जा रहा था. तनाव और कलात्मकता स्पष्ट थी. मैं दोनों दिग्गजों से सरप्राइज्ड हो गया. यह देखकर कि कैसे दिलीप साहब ने राज कुमार के साथ एक्टिंल की जटिलताओं को संभाला.
मैं कभी भी सीनियर्स के प्रति असभ्य या…
अभिनय के प्रति अपने दृष्टिकोण को साझा करते हुए, मुकेश खन्ना ने को स्टार्स के प्रति अपने सम्मान पर जोर देते हुए कहा, ‘मैं कभी भी सीनियर्स के प्रति असभ्य या असम्मानजनक नहीं रहा हूं, लेकिन जब कैमरा घूमता है, तो मैं करेक्टर में हो जाता हूं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मेरे सामने कौन है. मैं पूरी तरह से सीन पर ध्यान केंद्रित करता हूं. मुकेश खन्ना ने उनके करियर और व्यक्तित्व पर भी विचार किया. उन्होंने कहा कि लोग अक्सर मुझसे पूछते हैं कि क्या मैं स्वभाव से आक्रामक हूं या यह सिर्फ दिखावा है. मैं कहूंगा कि यह दोनों का एक सा है. यह एक ईमानदार पहलू है. मैंने इस व्यक्तित्व को विकसित किया है क्योंकि मैं जानता हूं कि मेरी आवाज, संवाद अदायगी और उपस्थिति मायने रखती है. ऑफ-कैमरा, मैं विनम्र और सम्मानजनक हूं, लेकिन ऑन-कैमरा, मैं किरदार में बदल जाता हूं.’
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FIRST PUBLISHED : December 28, 2024, 09:58 IST