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Saturday, September 14, 2024

‘10 साल काम किया फिर भी…’ सैलरी ना बढ़ने से तंग आकर प्रोफेसर को देना पड़ा इस्तीफा

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सोशल मीडिया पर आए दिन से नौकरी से इस्तीफा देने के अलग तरीके और वजहें वायरल होते रहते हैं। अब इसी ट्रेंड में एक प्रोफेसर ने रेडिट पर घोषणा की है कि उसने नौकरी से इस्तीफा देने का फैसला किया है। प्रोफेसर ने इसकी वजह भी बताई है। 37 वर्षीय असिस्टेंट प्रोफेसर ने हाल ही में बेंगलुरु के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में अपने खराब अनुभव के बारे में बताया। लिंक्डइन पर प्रोफेसर ने दावा किया कि संस्थान को 10 साल देने और अपने छात्रों से हमेशा पॉजिटिव फीडबैक मिलने के बावजूद संस्थान ने आज तक उनकी सैलरी नहीं बढ़ाई।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर एक पोस्ट कर प्रोफेसर ने अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने लिखा, “मैंने सबकुछ किया और मुझे जो भी काम दिया गया। मैंने कभी किसी काम के लिए ना नहीं कहा।” किसी से कोई सहानुभूति ना मिलने के बाद प्रोफेसर ने कहा कि उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया लेकिन उन्हें तब और हैरानी हुई जब कॉलेज में किसी ने उन्हें रोकने की कोशिश भी नहीं की।

‘रविवार को भी काम करता था’

प्रोफेसर ने अपने पोस्ट में लिखा, ” हेलो बेंगलुरू। मैं पूर्वी बेंगलुरु के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर काम कर रहा था। मैं पिछले 10 सालों से यहां था। 2019 तक सब कुछ ठीक था। 2019 में जो नए प्रिंसिपल आए उन्होंने हमारे कॉलेज की 3 ब्रांच बंद कर दीं। मैंने सब कुछ किया और मैंने कभी किसी काम के लिए मना नहीं किया लेकिन उन्होंने कभी मेरी सैलरी बढ़ाने के मेरी बात नहीं मानी। स्टूडेंट्स मेरे पढ़ाने से खुश थे। मुझे अपने छात्रों से लगातार बेहतरीन प्रतिक्रिया मिली। मैं हैकथॉन और दूसरे प्रतियोगिताओं में छात्रों की मदद करता था। कई बार मैंने कई इसके लिए अपनी जेब से पैसे भरें। एनबीए और एनएएसी की चेकिंग के दौरान मैं रात को 8-9 बजे तक रहता था। हम रविवार को भी काम करते थे।”

ईपीएफ भी नहीं दिया गया- प्रोफेसर

उन्होंने यह भी दावा किया कि जूनियर शिक्षकों को उनसे अधिक वेतन मिल रहा था। उन्होंने लिखा, “मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मैं समझ नहीं पा रहा था कि मैं क्या गलती कर रहा हूं। पूरा कॉलेज जानता था कि मैं क्या कर रहा हूं लेकिन हमारे प्रिंसिपल इसे मानने के लिए तैयार नहीं थे।” प्रोफेसर ने आगे कहा कि उन्होंने इस्तीफा देने से पहले कॉलेज के प्रिंसिपल से बात की लेकिन मेरी बात नहीं सुनी गई। मैं इस व्यवस्था से तंग आ गया था और हाल ही में मैंने इस्तीफा दे दिया। किसी ने नहीं पूछा कि मैं इस्तीफा क्यों दे रहा हूं और किसी ने मुझे रुकने के लिए भी नहीं कहा।” इतना ही नहीं प्रोफेसर ने आरोप लगाया कि सैलरी स्ट्रक्चर में अचानक बदलाव के बाद उन्हें कोई ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि) भी नहीं दिया गया।

सोशल मीडिया पर लोगों ने दिया साथ

प्रोफेसर ने यह पोस्ट एक दिन पहले ही शेयर की थी। तब से इसे 1,000 से ज़्यादा लाइक मिल चुके हैं। पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए एक यूजर ने लिखा, “ईपीएफ का भुगतान न करना गैरकानूनी है। उन पर मुकदमा चलाने का कोई तरीका खोजें।” वहीं एक अन्य यूजर ने कहा, “शिक्षा क्षेत्र के सभी स्तरों पर शिक्षकों को बहुत ज़्यादा काम करना पड़ता है और उन्हें बहुत कम या कोई मुआवज़ा नहीं मिलता। सच्चाई यह है कि हमें कभी भी हटा दिया जा सकता है संस्थानों को आपके शिक्षण की गुणवत्ता की परवाह नहीं है। उन्हें पता है कि वे आपको सस्ते विकल्प से बदल सकते हैं।”



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