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Sambhal News: एसआईटी के सदस्य इंस्पेक्टर लोकेंद्र कुमार त्यागी ने कोर्ट में कहा कि केस में 26 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और 25 के खिलाफ आरोप दायर किए गए थे, लेकिन फरहाना के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला. आइये जान…और पढ़ें
महिला को संभल में पुलिस पर पत्थर फेंकने के लिए पकड़ा गया था..
बरेली : संभल में बीते 24 नवंबर को हुई हिंसा के दौरान पुलिस पर पथराव में पकड़े गए आरोपियों में एक महिला की कहानी सबसे जुदा है. यूपी पुलिस ने इसे पथराव करने के जुर्म में पकड़ा था और जेल भेज दिया गया. करीब 87 दिनों तक वह जेल में रही. उस पर पुलिस ने दंगा, हत्या की कोशिश जैसे गंभीर अपराध करने का केस बनाया.. लेकिन अदालत ने अब उसे जमानत पर रिहा किया है. सुनवाई के दौरान अदालत के सामने जो तथ्य आया, वो उसे बेल दिलाने में मददगार साबित हुआ. यहां तक की पुलिस ने भी माना कि उसे झूठा फंसाया गया. वो भी पुरानी दुश्मनी के चलते. जेल में बिताया वक्त इस महिला के जे़हन में ऐसा बैठ गया है कि निकाले नहीं निकलता. रह-रहकर वे पल बुरे सपने के रुप में उसके सामने आते हैं. आइये जानते हैं इसकी दास्तां…
दरअसल, संभल हिंसा में कथित तौर पर पत्थराव करने के आरोप में 26 नवंबर को गिरफ्तार की गई 48 साल की फरहाना को 87 दिनों की जेल काटने के बाद रिहा कर दिया गया. जांच में पाया गया कि उसका वजन करीब 120 किलो है और वह छत पर नहीं चढ़ सकती थी, जहां से पत्थर फेंके गए थे.
हालांकि महिला ने उस वक्त भी खुद को बेगुनाह बताया था, लेकिन पुलिस ने फरहाना पर बीएनएस की कई धाराओं के तहत आरोप लगाए थे. इनमें 191-2 (दंगा करने), 109 (हत्या की कोशिश), 121-2 (ड्यूटी के दौरान सरकारी कर्मचारी को गंभीर चोट पहुंचाना) और 132 (ड्यूटी के दौरान सरकारी कर्मचारी पर हमला करना) शामिल रहे.
TOI के अनुसार, फरहाना पिछले गुरुवार तक न्यायिक हिरासत में जेल में रही, जब दंगों की जांच कर रही एसआईटी ने सीजेएम की अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी. एसआईटी के मेंबर सर्किल ऑफिसर कुलदीप कुमार ने बताया कि, “फरहाना को पुलिस पर पथराव करने वाली महिलाओं में से एक के रूप में पहचाने जाने के बाद अरेस्ट किया गया था. लेकिन बाद में कुछ स्थानीय लोगों ने हलफनामे पेश किया, जिसमें बताया गया गया कि फरहाना का वजन तो करीब 120 किलोग्राम है और वह पथराव करने वालों में थी ही नहीं.”
रिपोर्ट में सीओ के हवाले से आगे बताया गया कि “आरोपी महिलाओं में से एक जिकरा ने अपनी गिरफ्तारी के बाद आईओ यानि जांच अधिकारी को बताया था कि फरहाना पुलिस पर पथराव करने के लिए उसके साथ गई थी. पर बाद में हमें पता चला कि वह अपनी बहन मरियम को बचाने की कोशिश कर रही थी, जो बुर्का पहने हुए थी और पुलिस टीम पर पथराव कर रही थी. यह भी पता चला कि जिकरा की फरहाना के साथ पुरानी दुश्मनी थी. इसी वजह से उसने फरहाना को फंसाया. इसके बाद सभी केस की निष्पक्ष जांच के तहत न्याय सुनिश्चित किया गया. अब जिकरा के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.”
एक सीनियर पुलिस ऑफिसर से यह सवाल किया गया कि जब 50 साल की उम्र वाली महिला पर कानून की इतनी गंभीर धाराएं लगाई गईं और उसे लगभग 90 दिन जेल में बिताने पड़े, तो इस मामले में कोई उचित जांच क्यों नहीं की गई? इस पर फरहाना के एक रिश्तेदार ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि, “वह जीवन के बहुत बुरे दौर से गुजरी है. खुद को संभालने की कोशिश कर रही है. जेल में बिताए समय के बुरे सपने अभी भी उसे सताते हैं.”
एसआईटी के सदस्य इंस्पेक्टर लोकेंद्र कुमार त्यागी ने कोर्ट में कहा कि केस में 26 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और 25 के खिलाफ आरोप दायर किए गए थे, लेकिन फरहाना के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला. त्यागी ने अदालत से यह भी अनुरोध किया कि फरहाना की न्यायिक हिरासत को आगे न बढ़ाया जाए. याचिका को स्वीकार करते हुए अदालत ने 1 लाख रुपये का निजी मुचलका भरने के बाद उसे रिहा करने का आदेश दिया था.
Sambhal,Moradabad,Uttar Pradesh
February 28, 2025, 10:28 IST
संभल पथराव में इस महिला आरोपी की कहानी ‘सबसे जुदा’, पुलिस ने खुद बताई बेगुनाही