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Tuesday, February 25, 2025

जुमे के दिन.., असम विधानसभा की कार्रवाई से नाराज मौलाना शहाबुद्दीन ने दी चेतावनी, जानें डिटेल

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बरेली से आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने आसाम विधानसभा की कार्रवाई पर सख्त नाराजगी जताई है. उन्‍होंने कहा कि असम विधानसभा में ही कोई जगह तय की जाए, ताकि मुस्लिम विध…और पढ़ें

बरेली से मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना शहाबुद्दीन ने चेतावनी दी है.

हाइलाइट्स

  • मौलाना शहाबुद्दीन ने असम विधानसभा पर नाराजगी जताई.
  • असम में मुस्लिम विधायकों के लिए जुमे की नमाज की परंपरा खत्म.
  • विधानसभा में नमाज के लिए जगह तय करने की मांग.

राम विलास सक्‍सेना
बरेली.
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने असम विधानसभा की कार्यवाही पर सख्त नाराजगी जताई है. मौलाना ने कहा कि असम की भाजपा सरकार ने एक बार फिर मुस्लिम मुखालफत का इज़हार करते हुए विधानसभा में मुस्लिम विधायकों के लिए जुमे के दिन नमाज़ अदा करने के लिए 2 घंटे के समय की 90 साल की परम्परा को खत्म कर दिया गया है.

मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि असम के मुख्यमंत्री हिमन्त विश्व शर्मा हमेशा मुसलमानों के खिलाफ बयान देते हैं, कभी वो NRC के नाम पर असम और बंगाल के मुसलमानों को डराते हैं, तो कभी CAA के नाम पर पूरे भारत के मुसलमानों को डराने की कोशिश करते हैं. मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि विधानसभा में जुमे के दिन 2 घंटे की छूट 1937 से चली आ रही है, ये छूट कोई नयी परम्परा नहीं है जो कि 90 सालों से चली आ रही है. मौलाना ने मांग की है कि विधानसभा मे ही कोई जगह जुमा पढ़ने की मुकर्रर की जाये ताकि हफ्ते भर में एक बार पढ़ी जाने वाली नमाज़ से मुस्लिम विधायक वंचित न रह जाए.

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बीते सत्र में लिया था फैसला, लेकिन लागू इस बार हो सका
सदन के पिछले सत्र (30 अगस्त, 2024) में असम सरकार ने यह फैसला लिया था, लेकिन इसे अब लागू किया गया है. इस फैसले को लेकर अब असम सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं. यह राजनीति सरगर्मियां बढ़ाने वाला साबित हो रहा है और अब राजनेताओं के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय से आने वाले नेता और मौलाना भी बयानबाजी पर उतर आए हैं. उन्‍होंने इसे गलत ठहरा दिया है. उनका कहना है कि पुरानी परंपरा को तोड़ना ठीक नहीं है. सरकार और विधानसभा को चाहिए कि वे मुस्लिमों को नमाज पढ़ने के लिए सही समय और जगह उपलब्‍ध कराएं. सरकार को मजहब की रक्षा करनी चाहिए ना कि उसका विरोध. जो शख्‍स भारतीय है जो भारत में पैदा हुआ है जो भारतीय है; उसके धर्म की रक्षा सरकार की जिम्‍मेदारी है.

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