नई दिल्ली:
Bangladesh Crisis बांग्लादेश में शेख हसीना के सत्ता छोड़ने के बाद बदले हालात ने भारत को एक अजब ‘धर्म संकट’ में लाकर खड़ा कर दिया है. इस सत्ता परिवर्तन के दौरान बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाया गया. ऐसे में शेख हसीना की तरह बांग्लादेश में रहनेवाले हिंदुओं को भी भारत ही सबसे सुरक्षित पनाहगाह नजर आ रहा है. बांग्लादेश में रहने वाले हजारों हिंदू इस समय भारत की शरण में आना चाहते हैं, लेकिन भारत इन हालात में वहां रहनेवाले हिंदुओं का स्वागत करने की स्थिति में नहीं है.
हिंदुओं को बनाया जा रहा निशाना
बांग्लादेश में हिंदुओं पर पिछले कई सालों से अत्याचार हो रहा है, ये बात किसी से छिपी नहीं है. शेख हसीना का तख्तापलट होने के बाद हिंदुओं पर बांग्लादेश में हमले एकाएक तेज हो गए हैं. बांग्लादेश में पिछले दिनों कई मंदिरों में तोड़फोड़ और आगजनी की गई. कई हिंदुओं को घरों में घुसकर मारा गया. ऐसे में बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू इस समय खौफ में हैं. वे घर से बाहर निकलने से भी घबरा रहे हैं. इन हालात से घबराकर कई हिंदू अब भारत आने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उनकी जान बच सके.
बांग्लादेश में सिर्फ 8.5 % रह गए हिंदू
हिंदुओं की आबादी बांग्लादेश में लगातार घट रही है. पूर्वी बंगाल (पूर्वी पाकिस्तान) के लिए 1951 में की गई आधिकारिक जनगणना के अनुसार, यहां कुल आबादी में हिंदू 22 प्रतिशत थे. 1991 में यह आबादी घटकर 15 प्रतिशत रह गई थी. साल 2011 की जनगणना में यह संख्या सिर्फ 8.5 प्रतिशत रह गई. वहीं, मुस्लिम आबादी यहां लगातार बढ़ रही है. 1951 में मुस्लिमों की संख्या कुल जनसंख्या का 76 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 91 फीसदी हो गई है. इसके बावजूद हिंदू, बांग्लादेश में सबसे बड़ा धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय है.
बांग्लादेश में खौफ में हिंदू
भारत बांग्लादेश सीमा पर इस समय अजब हालात देखने को मिल रहे हैं. हजारों बांग्लादेशी हिंदू अपनी जान बचाने के लिए भारतीय सीमाओं पर पहुंच रहे हैं. ये सभी इस आस में आ रहे हैं कि इन्हें भारत में पनाह मिल जाएगी. लेकिन इन बांग्लादेशी हिंदुओं की राह इतनी आसान नहीं है. पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले के सीतलकूची में बाड़युक्त सीमावर्ती क्षेत्र में शुक्रवार सुबह उस समय तनाव पैदा हो गया जब लगभग एक हजार घबराए हुए बांग्लादेशी नागरिक भारत में घुसने और शरण लेने की कोशिश में बाड़ के दूसरी ओर एकत्र हो गए. ये लोग घंटों तक पानी में खड़े रहे. हालांकि, सीमा पर कड़ी निगरानी रखने वाले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने इस प्रयास को विफल कर दिया. सीमा सुरक्षा बल ने पुष्टि की है कि बाद में बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (बीजीबी) के जवानों ने बांग्लादेशियों को वहां से हटा दिया.
घुसपैठ की आशंका के बीच बॉर्डर पर सुरक्षा कड़ी
भारतीय सीमा पर जुटी भीड़ में कथित तौर पर ज्यादातर बांग्लादेशी हिंदू शामिल थे. वे बांग्लादेश के लालमोनिरहाट जिले के गेंडुगुरी और दोइखवा गांवों में एक तालाब के किनारे बाड़ से लगभग 400 मीटर दूर एकत्र हुए थे. पठानटुली गांव में बीएसएफ की 157 बटालियन की भारी तैनाती और वाहनों और पैदल यात्रियों पर निगरानी रखने के कारण विदेशियों की घुसपैठ की कोशिश सफल नहीं हो पाई. बांग्लादेशी लोग भारत में प्रवेश की मांग के लिए नारे लगा रहे थे.
उभरती चुनौती बीएसएफ के लिए नई
बॉर्डर पर घुसपैठ की कोशिश के बारे में पूछे जाने पर बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि बड़ी संख्या में बांग्लादेशी सीमा पर एकत्र हुए थे, जिन्हें बाद में बीजीबी वापस ले गयी. अधिकारी ने बताया, “बांग्लादेशी सीमा पर एकत्र हुए थे, लेकिन कोई भी देश में प्रवेश नहीं कर सका, क्योंकि सीमा पूरी तरह से सील थी. बाद में उन्हें बीजीबी द्वारा उनके देश में वापस ले जाया गया.” इसके बाद बीएसएफ के गुवाहाटी फ्रंटियर द्वारा जारी एक बयान में इस घटनाक्रम को एक ‘नई सीमा चुनौती’ बताया गया. बयान में कहा गया है कि यह उभरती चुनौती बीएसएफ के लिए नई है. बीएसएफ को बांग्लादेश और पाकिस्तान, दोनों से लगी सीमाओं की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया है.
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