बलिया: पूर्वजों की प्राचीन पहलवानी परंपरा को आगे बढ़ाने के संकल्प के साथ जिले के अभिषेक पांडेय ने तीसरे प्रयास में “जिला केसरी” का खिताब जीतकर नया इतिहास रच दिया. लगातार दो बार असफल होने के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने प्रयासों को जारी रखा. उनकी मेहनत ने न केवल जिले बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाई है.
अभिषेक पांडेय, जिन्हें लोग “छोटू” के नाम से भी जानते हैं, बलिया जिले के शहर कोतवाली क्षेत्र के जमुआ रामपुर गांव के निवासी हैं. उनके दादा एक मशहूर पहलवान थे, और उनके पिता पीएसी में कार्यरत हैं, जो ऑल इंडिया पुलिस खेल प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं. पिता से प्रेरित होकर अभिषेक ने पहलवानी को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया. बचपन में वे गोरखपुर के इंदल स्टेडियम में पिता के साथ जाया करते थे. वहां पहलवानों को देखकर उन्होंने बड़ा पहलवान बनने का सपना देखा.
सफलताओं की फहरिस्त
अभिषेक ने “जिला केसरी” का खिताब जीतने के साथ-साथ कई अन्य बड़ी उपलब्धियां भी हासिल कीं हैं. नेशनल स्कूल चैंपियनशिप में जीत. हाल ही में मथुरा में आयोजित सीनियर स्टेट में तीसरा स्थान मिला था.
अभिषेक ने ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी प्रतियोगिता में दो बार प्रतिनिधित्व किया. तीसरी बार में “जिला केसरी” का खिताब जीतने के लिए उन्होंने बलिया के सभी प्रमुख पहलवानों को मात दी. यह खिताब उनकी लगन, समर्पण और कड़ी मेहनत का प्रमाण है.
रहन-सहन और खानपान
अभिषेक का जीवनचर्या और खानपान उनकी सफलता में अहम भूमिका निभाते हैं.
सुबह की दिनचर्या: सुबह जल्दी उठकर स्टेडियम में कोच के मार्गदर्शन में अभ्यास.
नाश्ता: बादाम, काजू, दूध या दही.
दूध का सेवन: दिन में दो से ढाई लीटर.
भोजन: शाकाहारी और मांसाहारी दोनों, जिसमें देसी और पौष्टिक चीजों को प्राथमिकता दी जाती है.
संघर्ष और प्रेरणा
कभी नहीं किया निराश
अभिषेक का कहना है कि पहलवानी के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए संघर्ष अनिवार्य है. लगातार असफलताओं के बावजूद, उन्होंने कभी निराशा को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया. उनका मानना है कि परिश्रम और अनुशासन से ही सफलता मिलती है. अभिषेक पांडेय का सफर युवाओं के लिए प्रेरणा है. उनकी मेहनत और जज्बा दिखाता है कि अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और प्रयास सच्चे हों, तो सफलता जरूर मिलती है.
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FIRST PUBLISHED : November 28, 2024, 12:35 IST