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Monday, July 8, 2024

पिता-चाचा का सपोर्ट, चौथी बार में मिली सफलता; पढ़िए आबकारी इंस्पेक्टर की सफल कहानी

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सनन्दन उपाध्याय/बलिया: दो-तीन बार असफल होने के बाद निराश और मायूस कुछ युवा सब कुछ छोड़कर हार मान घर बैठ जाते हैं. शायद उनको पता नहीं होता कि अगले पायदान पर सफलता उनका टकटकी लगाए इंतजार कर रही है. बहुत पुरानी लाइन ‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’ आबकारी इंस्पेक्टर विनय कुमार राय पर सटीक बैठ रही है. किसान के घर में जन्मे विनय अपने परिश्रम और मेहनत के बल पर तमाम असफलताएं मिलने के बावजूद भी हिम्मत न हारते हुए अपने सपने को साकार करते हुए बड़ा मुकाम हासिल कर लिया. इंस्पेक्टर विनय कुमार राय की कहानी बड़ी रोचक और आज के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है.

आबकारी निरीक्षक (Excise Inspector) सदर बलिया विनय कुमार राय ने बताया कि वह  बिहार राज्य के रोहतास जिले के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि पिता ने उन्हें पढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किया और उन्होंने भी कभी हिम्मत नहीं हारी. इस वजह से आज उन्हें बड़ी सफलता मिली है.

गांव के प्राथमिक विद्यालय से शुरू हुई पढ़ाई
लोकल 18 से खास बातचीत के दौरान आबकारी निरीक्षक ने बताया कि स्कूली शिक्षा कक्षा 5 तक गांव के प्राथमिक विद्यालय में हुई. पापा किसानी करते थे, खेती-बाड़ी से ही जीविका चलती थी. परिवार की स्थिति काफी सही नहीं थी. पांचवीं के बाद गांव के आसपास में कोई हायर एजुकेशन की व्यवस्था नहीं थी.

पढ़ाई के प्रति जुनून को देख आगे आए चाचा
उन्होंने बताया कि पिता ने मुझे पढ़ाने के लिए अपने क्षमता से अधिक प्रयास किया. अब वह इस दुनिया में नहीं हैं. लेकिन आज भी सफलता के बारे में जब उनसे कोई चर्चा करता है. तो एक बार पिता का चेहरा जेहन में उतर जाता है. पांचवीं के बाद घर परिवार की दयनीय स्थिति के बीच मैं चाचा के साथ आजमगढ़ चले गए. उनके चाचा आजमगढ़ में इंटर कॉलेज में प्रवक्ता (Lecturer) थे. चाचा के साथ रहकर 10 वीं तक की पढ़ाई संपन्न की. उसके बाद बनारस में इंटरमीडिएट करके पटना से ग्रेजुएशन किया.

चौथी बार में मिली सफलता
यूपीएससी के दो अटेम्प्ट देने के बाद उन्होंने पीसीएस देना शुरू किया. इसमें तीन बार तो प्री निकाल दिया, लेकिन मेन्स नहीं निकल पाए. यह असफलता कहीं न कहीं निराश और मायूसी का कारण बनने लगी. लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी. चौथी बार में फिर यूपीपीसीएस में अप्लाई किया. आगे उन्होंने बताया कि सन 2018 उनके लिए सौभाग्यशाली रहा. उनका चयन आबकारी निरीक्षक के पद पर हो गया. सन 2018 में आबकारी निरीक्षक बनने के बाद शुरुआत हेडक्वार्टर में दो-तीन हफ्ते की ट्रेनिंग दी गई. फिर दो-तीन महीने की ट्रेनिंग मेरठ में हुई. उसके बाद बनारस में ट्रेनिंग हुई. अंततः बलिया में स्थाई आबकारी निरीक्षक के पद पर पोस्टिंग हो गई.

Tags: Ballia news, Local18, Success Story, UP news



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