बलिया: आपने एक से बढ़कर एक भवन देखें होंगे. सबकी अपनी अलग-अलग खासियत और पहचान है. लेकिन आज हम उस कोषागार यानी Treasury की बात करेंगे जो जनपद के इतिहास को प्रदर्शित करता है. जी हां हम बात कर रहे हैं साल 1900 में ब्रिटिश शासकों द्वारा बनाए गए बलिया जिले के ऐतिहासिक कोषागार की, सही सुना आपने बेहद ऐतिहासिक जमीन के अंदर इन तिजोरियों को इतने खास तरीका से बनाया गया था कि आज भी ये पूरी तरह से सुरक्षित है.
प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने बताया कि बात सन 1798 ई0 की है. जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने गाजीपुर को जिला बनाया, उस समय बलिया गाजीपुर ज़िले का एक तहसील था. 1 नवम्बर 1879 में ब्रिटिश शासकों ने बलिया को जिला बनाया. जब यह बलिया जिला बन गया तब इस कोषागार का निर्माण हुआ. .
ऐसे शुरू हुआ बलिया कोषागार (Treasury) की कहानी…
बलिया जिला बनने के बाद ब्रिटिश शासको के द्वारा 21 साल बाद इस ट्रेजरी का निर्माण हुआ. इस ट्रेजरी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसका निर्माण ब्रिटिश वास्तु शास्त्र के अनुसार हुआ है. इसका पूरा ढांचा ब्रिटिश पैटर्न का है.
अंग्रेजों के जमाने की अद्भुत तिजोरियां…
इस कोषागार में आज भी बहुत सुंदर अंग्रेजों के जमाने की तिजोरियां मौजूद है. इन तिजोरियों की खासियत ये है कि इसका निर्माण जमीन के अंदर हुआ. उस समय चोरी डकैती का मामला ज्यादा होता था, इसलिए सेफ रखने के लिए ये तिजोरियां बनाई गई थी. जमीन के अंदर बहुत खास तरीके से बनने के कारण यह तिजोरियां आज भी सही है. उस समय बलिया जनपद में तीन तहसील (बलिया सदर, बांसडीह और रसड़ा) हुआ करता था.
तहसील के हिसाब से बनी थी तिजोरियां…
इस कोषागार में जमीन के अंदर अंग्रेजों के जमाने की तिजोरियां तहसील के हिसाब से बनाई गई थी. तीनों तहसीलों के अलावा एक अलग तिजोरी है, जिसमें खास तौर से बलिया जनपद का हिसाब किताब रखा जाता था. उस समय नोटों का प्रचलन बहुत कम था, चांदी के सिक्के चला करते थे, इन सिक्कों को गिनकर थैली में बांधकर इनमें रखा जाता था. यह कोषागार एक ऐतिहासिक है जो बलिया के इतिहास को बताता है.
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FIRST PUBLISHED : May 30, 2024, 14:58 IST