Yoddha-The Warrior: गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. कहानी है अधिवक्ता मनोज राय हंस की. गरीब परिवारों के बच्चों के लिए राइट टू एजुकेशन कानून को अमली जामा पहनाने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी. इसके चलते आज गरीब परिवारों के बच्चों को भी प्राइवेट महंगे स्कूलों में उनके कॉपी, किताब और ड्रेस के साथ नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त हो रही है.
ठंडे बस्ते में पड़ गया था कानून
अधिवक्ता मनोज राय हंस ने कहा, ‘कांग्रेस की सरकार ने राइट टू एजुकेशन कानून 2009 में बनाया गया. जिसके बाद सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की. इसके तहत गरीब असहाय परिवार के बच्चों को निःशुल्क निजी स्कूल में शिक्षा देने के साथ हर अभिभावकों को उसके बच्चे की कॉपी, किताब और ड्रेस के लिए प्रतिवर्ष ₹5000 भी देने का प्रावधान था. इतने महत्वपूर्ण कानून को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था. किसी भी प्रदेश में इसका अनुपालन नहीं हो रहा था. ‘
4 दिन तक छोड़ दिया अन्न-जल
अंत में मनोज राय हंस जिले के हृदय भाग में स्थित शाहिद पार्क चौक में आमरण अनशन शुरू किया. यह आमरण अनशन 8 दिनों तक जारी रहा. इस दौरान 4 दिनों तक इस शख्स ने अन्न तो अगले 4 दिनों तक पानी का भी त्याग कर दिया. इस दौरान महिलाओं का एक बहुत बड़ा समूह उनके साथ खड़ा हुआ. पुरुष भी आए लेकिन आजादी की लड़ाई के बाद पहली बार बलिया जनपद में महिलाओं ने मोर्चा संभाला.
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इस लड़ाई में इतना रफ्तार पकड़ की अंत में पुरुष के साथ सैकड़ों महिलाओं का हम भी सड़क पर उतर गए. इस दौरान जिलाधिकारी की अर्थी निकाली गई, बीएसए का पुतला फूंका गया महिलाओं ने डीएम के आवास पर जाकर घेराव किया. इस लड़ाई के आगे न केवल जिला प्रशासन बल्कि, उत्तर प्रदेश सरकार भी हिल गई. इसके बाद अधिवक्ता मनोज राय हंस से आला अधिकारियों की वार्ता होने लगी.
20 हजार गरीब बच्चों की बदल गई जिंदगी
अंत में इस पूरे प्रकरण पर बात करने के लिए जिला प्रशासन मजबूर हुआ. गरीब बच्चों को नि:शुल्क में महंगे निजी विद्यालयों में अच्छे शिक्षा देने के प्रावधान को लिखित रूप में लागू करने की मांग की. इस लड़ाई के आगे जिला प्रशासन की हार हुई और अधिवक्ता मनोज राय हंस को ऐतिहासिक जीत मिली. यह लड़ाई आज केवल बलिया में लगभग 20,000 गरीब के बच्चों का जीवन साकार कर रही है.
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FIRST PUBLISHED : January 1, 2025, 19:27 IST