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Tuesday, November 5, 2024

Inspiring Story: जन्म से ही नहीं थे पैर..IAS बनना था सपना, नहीं हुआ पूरा तो ऐसे संवार रही हैं बच्चों की जिंदगी    

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Inspiring Story: यूपी के गोंडा जिले में जन्मी रुखसाना बेगम सिद्दीकी की कहानी कमाल है. वो जन्म से ही दोनों पैरों से विकलांग हैं. बचपन तो घर वालों की देखरेख में कट गया. लेकिन जब अपने पैरों पर चलने की बारी आई, उस वक्त पैरों की कमी महसूस हुई. रुखसाना का जब स्कूल में दाखिला कराया गया, घर का कोई ना कोई एक सदस्य इनको स्कूल छोड़ने जाया करता था. जब स्कूल से लेने के लिए कोई लेट पहुंचता था तो रुखसाना को अपने विकलांगता को लेकर बहुत तकलीफ होती थी. इन्हीं सब दुख, मुसीबत तकलीफ के बीच में उन्होंने इंटर तक पढ़ाई गोंडा जिले में कंप्लीट की.

कुछ ऐसा रहा रुखसाना का सफर
रुखसाना के पिता एक पुलिस दरोगा थे और वह उन दिनों गोंडा जिले में कार्यरत थे. रिटायरमेंट के बाद बीवी बच्चों को लेकर बहराइच चले आए. जहां रुखसाना ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. नया शहर, नए लोग,और नए ताने! रुखसाना जब बहराइच पहुंची और महिला महाविद्यालय बहराइच में दाखिला लिया तो कुछ दिनों तक घर वालों ने कॉलेज तक छोड़ने और लेने आने का काम किया. फिर एक दिन मां ने कहा तुम्हें अपनी जिंदगी खुद से जीनी है. अपनी लड़ाई को खुद से लड़नी है. खुद से अकेले जाने की कोशिश करो. लोगों के ताने लोगों की बातें उसका डटकर सामना करो और फिर रूकसाना ने ठान लिया कि वो कॉलेज अकेले ही जाएंगी.

चला रही हैं 300 बच्चों का स्कूल
घर से निकलने के बाद विकलांग पैर और दोनों हाथों का सहारा लेते हुए रुकसाना सौ कदम तक घिसड़कर रिक्शा पकड़ा करती थी. इस तरह संघर्ष भरी राहों में उन्होंने ग्रेजुएशन की शिक्षा प्राप्त की. आईएएस बनने का सपना था. कुछ नंबरों से पीछे रह गई. फिर भी हार नहीं मानी. 50 रुपये में बच्चों को कोचिंग पढ़ाना शुरू किया. फिर छोटा-सा स्कूल खोला, जिसमें रूकसाना आज जमीन पर बैठकर लगभग 300 बच्चों को शिक्षा दे रही हैं .

क्या है रुखसाना के स्कूल का नाम?
रुकसाना ने बताया कि  उनके स्कूल का नाम रानी लक्ष्मीबाई है. रुकसाना उनकी जिंदगी से प्रेरणा लेती हैं. उनको अपना आदर्श मानती हैं. मुस्लिम होने के नाते कई बार लोगों ने उनको रोका, टोका भी, कहा कि तुम एक मुस्लिम हो और स्कूल का नाम रानी लक्ष्मीबाई रख रखा है. जिन बातों का रुखसाना पर कोई फर्क नहीं पड़ा और आज भी स्कूल इसी नाम से चल रहा है.

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कम फीस में दे रही हैं शिक्षा
रुखसाना ने बताया है कि उन्होंने अपने स्कूल की मान्यता के लिए बहुत प्रयास किया और कई लोगों ने उनके साथ मान्यता दिलाने के नाम पर पैसे लेकर फ्रॉड भी किया. लेकिन आज तक इनके स्कूल को मानता नहीं मिली. आज के इस महंगाई भरे युग में वो मात्र ₹200 में बच्चों को कक्षा 1 से  8 क्लास तक की शिक्षा दे रही हैं.

Tags: Bahraich news, Inspiring story, Local18



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