बागपत: बागपत के 171 साल पुराने संस्कृत महाविद्यालय में देश के विभिन्न क्षेत्रों से शिक्षा प्राप्त करने बच्चे आते हैं. देश सेवा में योगदान देने का संकल्प लेते हैं. यह संस्थान बागपत के संस्कृत महाविद्यालय के रूप में सन 1852 में स्थापित हुआ था. इसकी स्थापना पंडित रामचंद्र ब्रह्मचारी जी ने की थी. स्थापना के बाद से अब तक लाखों बच्चे इस संस्थान से शिक्षा प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त कर चुके हैं.
बागपत का संस्कृत महाविद्यालय
संस्थान में लगभग एक हजार से अधिक बच्चे देश सेवा में अपना योगदान दे रहे हैं. वर्तमान में इस संस्थान में 11 प्रदेशों से आने वाले बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. इसे महाविद्यालय को सांस्कृतिक पाठशाला सांस्कृतिक महाविद्यालय के नाम से भी जाना जाता है. इस पाठशाला के नाम पर ही पाठशाला चौराहा का नाम रखा गया है.
मौजूदा समय में 200 से ज्यादा बच्चे रहे हैं पढ़
बागपत का यह सांस्कृतिक महाविद्यालय भारत के हर कोने से आने वाले बच्चों के लिए शिक्षा का केंद्र है. यहां हर प्रदेश के बच्चे अपनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते हैं और वर्तमान में 200 से अधिक छात्र यहां शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. इस महाविद्यालय में संस्कृत भाषा की पढ़ाई की जाती है, और यहां के छात्र विभिन्न क्षेत्रों में प्रोफेसर, लेक्चरर और देश सेवा में योगदान कर रहे हैं. इस संस्थान से अब तक लाखों छात्रों को शिक्षा प्राप्त हो चुकी है. लगभग 1,000 छात्र देश सेवा में अपना योगदान दे रहे हैं.
पढ़ाई कर सेना में होते हैं भर्ती
डॉक्टर रमित शर्मा ने बताया कि 1852 में इस संस्थान की स्थापना की गई थी. तब से ही यहां बच्चे आकर शिक्षा प्राप्त कर देश की सेनाओं में अपना योगदान दे रहे हैं. यहां संस्कृत में पढ़ाई की जाती है और वर्तमान में भी देश के हर कोने से छात्र यहां आकर अपनी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. इस संस्थान में हॉस्टल की भी व्यवस्था है, जिससे मध्य प्रदेश, अरुणाचल, छत्तीसगढ़, हरियाणा, राजस्थान और अन्य प्रदेशों के छात्र यहां रहकर अपनी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं.
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सुबह 4 बजे उठकर करते हैं पूजा
पढ़ाई के साथ स्वास्थ्य का भी रखते हैं. बच्चे सुबह 4 बजे उठकर व्यायाम और पूजा-अर्चना करते हैं. फिर आचार्य उन्हें पढ़ाते हैं. इसके साथ ही बच्चों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखा जाता है. यहां से देश के हर कोने से छात्र आकर शिक्षा प्राप्त करते हैं. इस संस्थान को सांस्कृतिक पाठशाला भी कहा जाता है और इसी के आधार पर यहां के एक चौराहे का नाम भी पाठशाला रखा गया है. सुरक्षा के दृष्टिकोण से, यहां पाठशाला चौकी का भी निर्माण किया गया है.
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FIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 15:06 IST