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Wednesday, October 9, 2024

हिंदू-मुस्लिम, सिख एकता का प्रतीक है आजमगढ़ का ये घाट, जानें इसका ऐतिहासिक महत्व

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आजमगढ़: हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई आपस में हैं भाई-भाई… इस कहावत का जीवंत उदाहरण है आजमगढ़ का बिट्ठल घाट, जहां मंदिर, मस्जिद, और गुरुद्वारा एक ही परिसर में स्थित हैं. यह स्थान भारत की सांझी विरासत और धार्मिक सद्भावना का प्रतीक है, जो यह दर्शाता है कि भारत ही वह देश है जहां विभिन्न धर्म और संस्कृतियां एक साथ मिलजुल कर रहती हैं.

आजमगढ़ शहर के बिट्ठल घाट पर स्थित यह धर्मस्थल हिंदू, मुस्लिम और सिख समुदायों की आस्थाओं का केंद्र है. यहां तीनों धर्मों के लोग अपने-अपने धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करते हैं. हिंदू पूजा-पाठ और भगवान की भक्ति में लीन होते हैं, मुसलमान नमाज अदा करते हैं और सिख समुदाय गुरुवाणी और कीर्तन करता है. यह स्थान आपसी भाईचारे और प्रेम का जीता-जागता उदाहरण है.

ऐतिहासिक महत्व
स्थानिय लोगों ने लोकल 18 को बताया कि वर्ष 1505 में अयोध्या से काशी की यात्रा के दौरान सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी आजमगढ़ आए थे और यहां संगत की थी. उन्होंने सर्वधर्म समभाव का संदेश दिया, जिससे प्रभावित होकर बिट्ठलदास ने उसी स्थान पर मंदिर, मस्जिद, और गुरुद्वारे का निर्माण कराया. यह धार्मिक स्थलों का निर्माण लखौरी ईंट से हुआ था, जो इस बात का प्रमाण है कि इसका निर्माण मुगलकाल में हुआ था. मंदिर भगवान भोलेनाथ को समर्पित है, और यह स्थान धार्मिक एकता का प्रतीक है, जो जिले की आपसी भाईचारे और सांझी संस्कृति को दर्शाता है.

उपेक्षा का शिकार ऐतिहासिक धरोहर
हालांकि, यह ऐतिहासिक धरोहर पिछले कई सालों से उपेक्षा का शिकार है. यहां हर धर्म के लोग आते-जाते रहते हैं, सिख संगत और कीर्तन करते हैं, हिंदू पूजन-अर्चन करते हैं, और मुस्लिम नमाज अदा करते हैं. स्थानीय लोगों ने इन धार्मिक स्थलों का खुद से जर्जर हालत में रंग-रोगन और मरम्मत कराया है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर किसी भी प्रकार की सहायता या संरक्षण नहीं मिला है. इस सांझी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया है.

सपा सरकार में मिली थी मंजूरी
स्थानीय लोगों के अनुसार, सपा सरकार के समय यहां एक पार्क बनाने की मंजूरी मिली थी जिससे इस स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सके. पार्क का निर्माण हो जाने से इस क्षेत्र को पर्यटन के रूप में विशेष बढ़ावा मिल सकता था. हालांकि, नई सरकार के आने के बाद से इस योजना पर कोई काम शुरू नहीं हुआ. लोगों का कहना है कि सरकार और प्रशासन को इस विशेष स्थल के विकास के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि यह सांस्कृतिक धरोहर संरक्षित रह सके और इसका महत्व आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचे.

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Tags: Azamgarh news, Local18



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