अयोध्या: अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने के बाद पूरे देश दुनिया के भक्त राम मंदिर में दर्श कर रहे हैं. लेकिन इसी बीच राम मंदिर ट्रस्ट ने एक बड़ा फैसला लिया है जों भक्तों और पुजारियों को पसंद नहीं आ रहा है. राम मंदिर में विराजमान रामलला के दर्शन करने आने वाले भक्तों के माथे पर अब तिलक नहीं लगेगा. मंदिर ट्रस्ट ने तत्काल प्रभाव से गर्भगृह के पुजारियों को ऐसा करने से रोक दिया है. साथ ही चरणामृत देने पर भी पाबंदी लगा दी है. अब पुजारियों को मिलने वाली दक्षिणा भी दानपेटी में रखी जाएगी. ट्रस्ट के इस निर्णय से पुजारियों में रोष है.
बीते 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में बालक राम की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी जिसके बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंच रहे हैं . भक्त प्रभु श्रीराम के दर्शन के साथ उनके करीब जाकर पूजन करने को उत्सुक रहते हैं. हालांकि मंदिर में पहुंचे श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने के लिए ट्रस्ट ने विभिन्न प्रकार की गाइडलाइन जारी किया था, परंतु भक्त किसी भी प्रकार से निकट जाकर भगवान का दर्शन करना चाहते हैं. बहराइच से प्रभु राम का दर्शन करने पहुंचे राम भक्त ने बताया कि अनेक मंदिरों में चंदन टीका और चरणामृत प्रसाद के रूप में दिया जाता है राम मंदिर में अगर बंद किया गया तो यह गलत है.
इस कारण लगाई गई रोक
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने बताया कि ट्रस्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. इस निर्णय के बाद पुजारी भक्तों के माथे पर अब तिलक नहीं लगा सकेंगे. मंदिर ट्रस्ट ने तत्काल प्रभाव से गर्भगृह के पुजारियों को ऐसा करने से रोक दिया है. साथ ही चरणामृत देने पर भी पाबंदी लगा दी गई है. पहले साधारण दर्शन करने वाले भक्तों को बैरिकेडिंग के अंतर्गत दर्शन कराया जाता है, लेकिन वीआइपी दर्शन करने वाले भक्तों को कुछ और निकट से रामलला के दर्शन का अवसर मिलता था. यहां दर्शन के पश्चात पुजारियों की ओर से उनके मस्तक पर चंदन लगा कर और चरणामृत देकर उन्हें अभिषिक्त किया जाता था. लेकिन अब ये बंद कर दिया गया है.
ट्रस्ट के निर्णय का होगा पालन
राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कि ट्रस्ट ने उन्हें व अन्य पुजारियों को चंदन लगाने और दक्षिणा लेने से रोक दिया है. हम सभी भक्तों को चंदन नहीं लगा सकते हैं, भक्तों से दक्षिणा दानपेटिका में ही डलवाना, चरणामृत भी देने से भी रोका दिया गया है. ट्रस्ट का निर्णय है तो जरूर पालन होगा लेकिन यह पहल रामानंदी परंपरा के अनुसार गलत है. रामानंदी परंपरा के सभी मंदिरों में तिलक लगाने और चरणामृत देने की परंपरा है.
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FIRST PUBLISHED : June 22, 2024, 15:48 IST