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Thursday, January 30, 2025

एक टाइम का खाना, कड़ी मेहनत…फिर भी नहीं मानी हार, आज कई अवॉर्ड किए हासिल, बेटियों के लिए बनीं मिसाल

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Agency:News18 Uttar Pradesh

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Success Story: अमेठी की खिलाड़ी सुधा सिंह की कहानी काफी संघर्ष से भरी है. आज उनको पद्मश्री, अर्जुन अवॉर्ड समेत कई पुरस्कार मिल चुके हैं. जो आज बेटियों के लिए एक मिसाल बन चुकी है. लेकिन इस मुकाम को पाने के लिए उ…और पढ़ें

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राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित होती सुधा सिंह 

आदित्य कृष्ण/ अमेठी: ख्वाहिशों से नहीं गिरते फूल झोली में कर्म की साख को हिलाना पड़ता है. अंधेरों को कोसने से कुछ नहीं होगा. अपने हिस्से का दीया खुद जलाना होगा. बेटियों के लिए  बंदिश  होती हैं और उन बंदिशों को लांघकर जब कोई आगे बढ जाए, तो हर कोई उनकी तारीफ करते नहीं थकता. आज की कहानी भी एक बेटी की है, जिसने संघर्षों से खूब लड़ाई लड़ी. चुनौतियां का सामना किया और आज अपनी मेहनत और कठिन परिश्रम से सफलता के कदम चूम रही है.

हासिल किए कई पुरस्कार, देश विदेश में किया खेल का प्रतिनिधित्व

हम बात कर रहे हैं अमेठी जिले के भादर विकासखंड के भीमी गांव की रहने वाली सुधा सिंह की. सुधा सिंह ने सामान्य परिवार में जन्म लिया. पिता सरकारी अध्यापक और माता गृहणी थी. सामान्य परिवार में जन्मी यही सुधा सिंह आज पद्मश्री अवार्ड, अर्जुन अवार्ड, यश भारतीय सम्मान, रानी लक्ष्मीबाई सम्मान का गौरव प्राप्त करने वाली पहली बेटी है, जो आज देश विदेश में बेटियों का मान बढा रही हैं. सुधा सिंह एथलेटिक्स की खिलाड़ी है और आज एथलेटिक्स के साथ ओलंपिक के अलावा कई नेशनल इंटरनेशनल खेल में अपना परचम लहरा चुकी है. इसके साथ ही सुधा सिंह ने कई अवार्ड अपनी मेहनत और संघर्षों के बलबूते हासिल कर लिया जो आज उनकी सफलता की कहानी का एक हिस्सा है.

यह है सुधा सिंह की उपलब्धियां 

पद्मश्री सुधा सिंह की उपलब्धियों की बात करें, तो उन्होंने कई ऐसे खिताब अपने नाम किए हैं, जो हर उस बेटी का सपना होता है, जो संघर्षों द्वारा जीवन जीती है. उपलब्धियों में उन्होंने दो बार ओलंपिक गेम्स 2012 और 2016 में भारत देश के साथ-साथ रेलवे का प्रतिनिधित्व किया. सुधा सिंह ने 3 हजार  मीटर स्टेपल चेज इवेंट में 16वें एशियन गेम्स 2010 में ग्वांगझू (चाइना) में गोल्ड मेड , 17वें एशियन गेम्स इंचिओन (साउथ कोरिया )में चौथा स्थान और 18वें एशियन गेम्स 2018 में जकार्ता (इंडोनेशिया) में रजत पदक प्राप्त किया. इसके साथ ही एक नहीं  4 बार 3000 मीटर स्टीपल चेज इवेंट में एशियन चैंपियनशिप ग्वांगझू (चाइना) 2009, कोबे सिटी (जापान) 2011, पूणे (इंडिया) 2013 और भुवनेश्वर (इंडिया) 2017 में 2 गोल्ड और 2 सिल्वर मेडल प्राप्त किया. ‌इन्होंने आईएएएफ कॉन्टिनेंटल वर्ल्ड कप 2018 में ओस्ट्रावा (चेक रिपब्लिक) में भारत देश एवं रेलवे के साथ-साथ पूरे एशिया का प्रतिनिधित्व किया. इन्होंने 2007 से 2017 तक 3000 मीटर स्टीपल चेज इवेंट में 9 बार राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित किया.  इन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 दिल्ली (भारत) में देश के साथ-साथ रेलवे का प्रतिनिधित्व किया. इनकी इन उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 2021 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री एवं खेल के दूसरे सर्वोच्च अर्जुन पुरस्कार 2012 से, उत्तर प्रदेश सरकार ने रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार 2013 और यश भारती पुरस्कार 2016 से सम्मानित किया.

चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहें बेंटिया कदम चूमेगी सफलता

लोकल 18 से बातचीत में उन्होंने बताया कि उनके इस सफर में संघर्ष बहुत रहा, लेकिन वो डरी नहीं पीछे नहीं हटी. चुनौतियों से लडती रही. आज इस सब का परिणाम है कि वे आगे अपना सफर तय कर रही है. सुधा सिंह ने बताया कि 1997 में जब उन्होंने इस क्षेत्र में कदम रखा, तो वह बिल्कुल अनजान थी. पहली बार जब उन्होंने स्कूल की तरफ से खेल के क्षेत्र में जीत हासिल की, तो स्पोर्ट्स अकादमी ने उनका हौसला बढ़ाया. पहले पिता और परिवार ने मना किया, लेकिन बाद में सभी ने सहयोग किया. उन्होंने 2001 से लेकर 2022 तक लगातार विदेशों में खेल के क्षेत्र में ही कई नेशनल और इंटरनेशनल स्तर के अवार्ड हासिल किए.  उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा भी था कि जब वह मुंबई गई, तो उनका जीवन काफी संघर्षों से भरा रहा. एक टाइम खाना खाना पड़ा, रहने की दिक्कत थी, लेकिन इन सब के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और आगे बढ़ती गई. आज वे‌ खुद एक स्पोर्ट्स ऑफिसर के पद पर तैनात हैं. उन्होंने कहा कि वे हर बेटी से यही अपेक्षा करती हैं कि खास करके उनके माता-पिता से कि बेटियों का सहयोग करें और बेटियां भी अपना एक लक्ष्य बनाकर उस पर अडिग रहें. उन्हें एक दिन सफलता जरूर मिलेगी.

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