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Mahakumbh Mela 2025: महाकुंभ में बीजेपी ने सफाई कर्मचारियों को संविधान की प्रतियां देकर ‘संविधान गौरव अभियान’ शुरू किया. यह पहल विपक्ष के संविधान बदलने के आरोपों के जवाब में है. बीजेपी का दावा है कि वह दलितों और ओबीसी का सम्मान करती है,…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- बीजेपी ने महाकुंभ में संविधान की प्रतियां बांटीं
- विपक्षी दलों के आरोपों का मुकाबला करने के लिए बीजेपी का अभियान
- महाकुंभ में सफाई कर्मचारियों को सम्मानित किया गया
महाकुंभ नगर. वैसे तो प्रयागराज में संगम की रेती पर दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक अनुष्ठान चल रहा है. महाकुंभ की धरती से सनातन धर्म का अद्भुत नजारा पूरी दुनिया देख रही है, लेकिन इस धार्मिक उत्सव से सियासी समीकरण भी साधे जा रहे हैं. खासकर बीजेपी विपक्ष के संविधान और आरक्षण को लेकर फैलाये जा रहे अफवाहों को दूर करने के लिए विशेष अभियान की शुरुआत की है. इसी क्रम में बीजेपी की उत्तर प्रदेश इकाई के नेताओं ने प्रयागराज में महाकुंभ मेले में सफाई कर्मचारियों को संविधान की प्रतियां वितरित कीं. उन्होंने कहा कि प्रयागराज में धार्मिक सभा एकता का महान उत्सव है, जिसे संविधान सुनिश्चित करता है.
गौरतलब है कि बीजेपी ने “संविधान गौरव अभियान” शुरू किया है, जो भारतीय संविधान के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान है. इस पहल के तहत राज्य भर में दलितों को सम्मानित किया जा रहा है. गुरुवार को महाकुंभ मेले में सफाई कर्मचारियों को माला पहनाकर और संविधान की प्रतियां देकर सम्मानित करने के बाद, उत्तर प्रदेश बीजेपी के सचिव अभिजात मिश्रा ने कहा, “हम यहां उन लोगों का सम्मान करने आए हैं जिन्हें गैर-बीजेपी पार्टियों और सरकारों द्वारा केवल वोट बैंक के रूप में देखा गया था. अब, एक मजबूत और संवेदनशील नेता के नेतृत्व में, बदलाव स्पष्ट है.”
बीजेपी का यह है दावा
अभिजात मिश्रा ने दावा किया कि अन्य पार्टियां दलितों और ओबीसी को वोट बैंक के रूप में देखती हैं. “हमारी पार्टी उनका सम्मान करती है.” “महाकुंभ भी एकता का महान उत्सव है, जिसे संविधान सुनिश्चित करता है. इसलिए हम संविधान की प्रतियां लेकर आए हैं ताकि हमारे संविधान निर्माताओं की एकता की भावना को मजबूत किया जा सके, जिसे हमारे राजनीतिक विरोधी नकारना चाहते हैं. “
विपक्ष ने बीजेपी पर लगाया था संविधान बदलने का आरोप
दरअसल, लोकसभा चुनाव के दौरान, विपक्ष ने बार-बार बीजेपी को उसके “400 पार” नारे पर निशाना बनाया, यह दावा करते हुए कि वह संविधान को बदलने के लिए विशाल जनादेश चाहती है, जिसे सत्तारूढ़ पार्टी ने खारिज कर दिया. हालांकि, बीजेपी अपने द्वारा निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचने में विफल रही और उसे क्षेत्रीय पार्टियों के समर्थन से सरकार बनानी पड़ी. दूसरी ओर, विपक्षी इंडिया ब्लॉक ने अप्रत्याशित सफलता हासिल की, जिससे लोकसभा में उनकी उपस्थिति काफी बढ़ गई.
सपा की तरफ से महाकुंभ में लगाई गई थी मुलायम की प्रतिमा
बता दें कि महाकुंभ में समाजवादी पार्टी के संस्थापक और प्रमुख ओबीसी नेता मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा लगाने पर भी हंगामा मच चुका है. बीजेपी का यह कदम भी उसी से जोड़कर देखा जा रहा है। इसके अलावा कांग्रेस ने भी 27 जनवरी को ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान’ रैली की घोषणा की है ताकि बीजेपी को घेरा जा सके. उधर बीएसपी प्रमुख मायावती भी संविधान निर्माता और दलित आइकन बीआर अंबेडकर के कथित अपमान के मुद्दे पर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल रही हैं. ऐसे में महाकुंभ की धरती से बीजेपी का संविधान गौरव अभियान विपक्ष के आरोपों की काट के तौर पर देखा जा रहा है.
पीएम मोदी ने बताया “एकता का महाकुंभ”
गौरतलब है कि 2019 में, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुंभ मेले में सफाई कर्मचारियों के लिए स्कूल चलाए थे, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस वर्ष कुंभ मेले के दौरान दलित सफाई कर्मचारियों के पैर धोए थे. इस साल के महाकुंभ से कुछ दिन पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज का दौरा किया और इस सभा को “एकता का महाकुंभ” बताया. इसके अलावा, आदित्यनाथ ने इस सभा को “सामाजिक समता का महापर्व” कहा है. इस आयोजन के लिए राज्य सरकार के प्रचार अभियान में हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा शृंगवेरपुर के निषाद राज पार्क में भगवान राम और निषाद राज की एक विशाल प्रतिमा का अनावरण किया गया था.
निषाद वोट बैंक पर सभी की नजर
निषाद एक राजनीतिक रूप से प्रभावशाली ओबीसी नदी समुदाय हैं जो एससी में शामिल होने की मांग कर रहे हैं और सभी पार्टियां उन्हें लुभाने के लिए उत्सुक हैं. महाकुंभ में राजनीतिक पोस्टिंग पर टिप्पणी करते हुए एक वरिष्ठ आरएसएस नेता ने कहा, “आप अपनी राजनीतिक कहानी बना सकते हैं, लेकिन हम एकता के लिए खड़े हैं और महाकुंभ जाति सद्भाव का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, क्योंकि यहां सभी प्रकार के अंतर समाप्त हो जाते हैं. यही वह एकता है जिसका प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया होगा.”
जाति जनगणना को लेकर बीजेपी दुविधा में
राजनीतिक पर्यवेक्षक सुधीर पंवार, जिन्होंने एक बार एसपी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, ने कहा, “विपक्षी पार्टियां और बीजेपी के कई ओबीसी सहयोगी जाति जनगणना के मुद्दे पर एकजुट हैं. इस मुद्दे पर बीजेपी एक बड़ी दुविधा का सामना कर रही है.” “हालांकि उसने उपचुनाव जीते हैं, लेकिन वह फैजाबाद लोकसभा सीट की चौंकाने वाली हार से उबर नहीं पाई है और अब महाकुंभ जैसे सामुदायिक आउटरीच उपायों के माध्यम से जनमत को जुटाने की कोशिश कर रही है.”
Allahabad Cantonment,Allahabad,Uttar Pradesh
January 17, 2025, 10:35 IST
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