अलीगढ़. उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 9 सीटों पर उपचुनाव का ऐलान हो गया है. उपचुनाव के लिए 13 नवंबर को मतदान होगा. वहीं नतीजे 23 नवंबर की तारीख को आ जाएंगे. चुनाव की तारीख का ऐलान होने के साथ ही सत्तारूढ़ भाजपा के साथ ही समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी ने कमर कस ली है. यूपी में 10 सीटों पर उपचुनाव होना था हालांकि मिल्कीपुर पर चुनाव का ऐलान नहीं हुआ है. उत्तर प्रदेश में जिन 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें से एक अलीगढ़ जिले की खैर विधानसभा की सीट है. यह सीट बीजेपी के पाले में थी.
अलीगढ़ जिले में 7 विधान सभा क्षेत्र हैं जहां 2022 में आम चुनाव हुए थे. इसमें खैर विधानसभा क्षेत्र से अनूप प्रधान लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए थे.विधानसभा चुनाव 2022 में अनूप प्रधान वाल्मीकि ने 1, 39 ,643 वोट लेकर बड़ी जीत हासिल की थी. जबकि बीएसपी से प्रत्याशी चारू कैन दूसरे नंबर पर थीं और तीसरे नंबर पर रालोद से भगवती प्रसाद सूर्यवंशी रहे थे. प्रदेश सरकार ने अनूप प्रधान राजस्व राज्यमंत्री बनाया था. मगर पिछले दिनों लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इन्हें हाथरस विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया था. इसमें इन्होंने रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की. ऐसे में अनूप प्रधान ने कुछ दिनों बाद खैर के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया. ऐसे में खैर विधानसभा क्षेत्र में विधायक का पद रिक्त हो गया.
लोकसभा में सपा को मिली थी बढ़त
खैर विधानसभा में उपचुनाव की बात करें, तो यहां इस बार रोमांचक मुकाबला देखने को मिल सकता है. उसकी बड़ी वजह है कि लोकसभा चुनाव 2024 में खैर विधानसभा क्षेत्र से सबसे ज्यादा वोट 95 हजार 391 वोट सपा के प्रत्याशी चौ. बिजेन्द्र सिंह को मिले थे, जबकि बीजेपी को कुल 93 हजार 900 वोट मिले थे. उपचुनाव में बीजेपी से सुरेंद्र दिलेर को प्रत्याशी बनाए जाने की प्रबल संभावना दिखाई दे रही है. उसकी बड़ी वजह है कि सुरेंद्र दिलेर हाथरस के पूर्व सांसद रहे स्व. राजवीर सिंह दिलेर के पुत्र हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने हाथरस से राजवीर सिंह दिलेर का टिकट काटकर अनूप प्रधान वाल्मीकि को दिया था
बीजेपी से संभावित दावेदार
लोकसभ चुनाव से पहले पूर्व सांसद राजवीर सिंह दिलेर की हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई थी. ऐसे में सुरक्षित सीट खैर विधानसभा पर बीजेपी सहानुभूति लहर के बीच सुरेंद्र दिलेर को टिकट दे सकती है. सुरेंद्र दिलेर के दादा किशनलाल दिलेर भी हाथरस लोकसभा से सांसद रह चुके हैं. इसके अलावा बीजेपी से भोला दिवाकर, मुकेश सूर्यवंशी, सुनीता करौतिया, रितु दिवाकर, सुनहरी लाल वाल्मीकि, संजय खटीक आदि भी टिकट के लिए अपनी मजबूत दावेदारी कर रहे हैं.
खैर विधानसभा का जातिगत समीकरण
लोकल 18 की टीम ने खैर विधानसभा में मतदाताओं से बात की और उनसे उपचुनाव में उनके मुद्दे क्या है यह जानने का प्रयास किया. खैर विधानसभा के जातिगत समीकरणों के को देखें तो इस सीट पर जाटों का अच्छा-खासा प्रभाव है. यहां कुल वोट करीब 4.04 लाख के आसपास है. जिसमें जाट वोट बैंक करीब 1.25 लाख के आसपास है. इसके अलावा ब्राह्मण वोट भी करीब एक लाख के आसपास है. बाकि दलित, वैश्य और अन्य वोटर हैं
जाट मतदाता तय करेंगे जीत ?
स्थानीय लोगों ने बताया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में खैर विधानसभा में बीजेपी दूसरे नंबर पर रही. यहां से सपा के बिजेंद्र सिंह को भाजपा से ज्यादा मत मिले थे. इसका मुख्य कारण था की खैर क्षेत्र जाट बाहुल्य माना जाता है और चौधरी विजेंद्र सिंह जाट परिवार से आते हैं. इसलिए जाटों ने उनका समर्थन किया. लेकिन अब विधानसभा चुनाव में जाटों के पास भाजपा के अलावा कोई और विकल्प दिखाई नहीं दे रहा. अगर जाट भाजपा के पास जाता है तो यहां से भाजपा प्रत्याशी की जीत तय मानी जा रही है.
जाम बड़ी समस्या
वहीं दूसरों लोगों ने बताया कि यहां सबसे बड़ी समस्या जाम की है. यहां कई कई घंटे जाम लगा रहता है.उसके बाद रोजगार भी बड़ी समस्या है.खैर की जनता का कहना है कि राजनीतिक दृश्य से अगर देखा जाए तो हर पार्टी अपनी अपनी जीत का दावा कर रही है. भारतीय जनता पार्टी जहां मोदी और योगी के नाम पर जनता के सामने है तो वहीं कांग्रेस और समाजवादी पार्टी 2024 लोकसभा चुनाव में मिले जनता के समर्थन को लेकर अपना दावा ठोक रही है.
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FIRST PUBLISHED : October 18, 2024, 16:44 IST