4.6 C
Munich
Tuesday, April 1, 2025

इकलौता ऐसा मंदिर जहां गिलहरी के रूप में विराजमान हैं बजरंगबली, 41 दिन पूजा करने से दूर होता है हर कष्ट!

Must read


Last Updated:

Aligarh: अलीगढ़ में एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां हनुमान जी गिलहरी के रूप में विराजमान हैं. मान्यता है कि यहां 41 दिन पूजा करने से सभी दुख-दर्द दूर होते हैं. क्या है इस मंदिर का इतिहास, जानते हैं.

X

यूपी के इस शहर मे मौजूद है एक ऐसा इकलौता मंदिर

हाइलाइट्स

  • अलीगढ़ में हनुमान जी का गिलहरी रूप में अनोखा मंदिर है.
  • 41 दिन पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं.
  • मंदिर का निर्माण नाथ संप्रदाय के महंत ने करवाया था.

अलीगढ़. देशभर में भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी के अनेकों मंदिर हैं. ऐसे में हर मंदिर की अपनी-अपनी अलग मान्यता और आस्था है. इन मंदिरों में हनुमान जी की विभिन्न रूपों में पूजा की जाती है. ऐसे में यूपी के अलीगढ़ में हनुमान जी का एक अनोखा मंदिर है. ये मंदिर दुनियाभर में मशहूर है. यहां हनुमान जी को गिलहरी के रूप में पूजा जाता है. बता दें कि अचल सरोवर के किनारे हनुमान जी का श्री गिलहराज महाराज मंदिर विश्वभर में प्रसिद्ध है. बजरंगबली यहां गिलहरी के रूप में पूजे जाते हैं. यहां आसपास करीब 50 से ज्यादा मंदिर हैं, लेकिन गिलहराज जी मंदिर की मान्यताएं सबसे अलग हैं.

क्या है मान्यता
इस मंदिर के महंत योगी कोशल नाथ बताते हैं कि श्री गिलहराज जी महाराज के इस प्रतीक की खोज सबसे पहले पवित्र धनुर्धर ‘श्री महेंद्रनाथ योगी जी महाराज’ ने की थी, जो एक सिद्ध संत थे. इनके बारे में माना जाता है कि वे हनुमान जी से सपने में मिले थे. वे अकेले थे, जिसे पता था कि भगवान श्रीकृष्ण के भाई दाऊजी महाराज ने पहली बार हनुमान जी को गिलहरी के रूप में पूजा था. यह पूरे विश्व में अचल ताल के मंदिर में खोजा जाने वाला एकमात्र प्रतीक है, जहां भगवान हनुमान जी की आंख दिखाई देती है.

किसने बनवाया था मंदिर
मंदिर के महंत ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण नाथ संप्रदाय के एक महंत ने करवाया था. बताया जाता है कि हनुमान जी ने सपने में उन्हें दर्शन दिए और कहा कि वे अचल ताल पर निवास करते हैं, वहां मेरी पूजा करो. जब उस महंत ने अपने शिष्य को खोज करने के लिए वहां भेजा तो उन्हें वहां मिट्टी के ढेर पर बहुत गिलहरियां मिलीं. उन्हें हटाकर जब उस जगह को खोदा तो वहां से मूर्ति निकली.

गिलहरी के रूप में थी मूर्ति
ये मूर्ति गिलहरी के रूप में हनुमान जी की थी. जब महंत जी को इस बारे में बताया गया तो वे अचल ताल पर आ गए. इस मंदिर को बहुत प्राचीन बताया जाता है, लेकिन उस समय का क्या आकलन है, यह पुजारी नहीं बता पाए. लेकिन इस मंदिर की प्राचीनता का अनुमान इससे लगाया जाता है कि महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण के भाई दाऊजी ने यहां अचल ताल पर पूजा की थी.

दूर होते हैं सारे कष्ट
कहा जाता है कि इस मंदिर में 41 दिन पूजन करने से कष्ट दूर हो जाते हैं. यहां दर्शन करने से ग्रहों के प्रकोप से मुक्ति मिलती है, खासतौर पर शनि ग्रह के प्रकोप से. गिलहराज जी प्रसिद्ध मंदिर को गिर्राज मंदिर भी कहते हैं. वहीं, दूसरे मंदिरों की बात करें तो मान्यता के अनुसार हनुमान जी को एक से अधिक चोला एक दिन में नहीं चढ़ाते हैं, लेकिन यहां दिनभर में बजरंगबली को 50-60 कपड़ों के चोले रोज भक्त चढ़ाते हैं.

homeuttar-pradesh

इस मंदिर में गिलहरी के रूप में विराजमान हैं बजरंगबली, दूर होते हैं कष्ट



Source link

- Advertisement -spot_img

More articles

- Advertisement -spot_img

Latest article