वसीम अहमद /अलीगढ़: मौलाना आजाद लाइब्रेरी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक लाइब्रेरी कई मामलों में बहुत ख़ास है. इसकी 7 मंजिला इमारत 4.75 एकड़ में फैली हुई है. इस लाइब्रेरी में लगभग 14 लाख किताबों का खजाना है, जिसकी वजह से यह अलीगढ़ के चर्चित स्थल में से एक बनी हुई है. इस लाइब्रेरी में बहुत से पर्यटक आते हैं और मौलाना आजाद लाइब्रेरी को एशिया की दूसरी सबसे बड़ी लाइब्रेरी बताई जाती है.
इस लाइब्रेरी की नींव 1877 में लॉर्ड रॉबर्ट बुलवर लिटन द्वारा रखी गई थी. इस लाइब्रेरी का नाम उनके नाम पर लिटन लाइब्रेरी रखा गया. इसकी वर्तमान इमारत का उद्घाटन देश के पहले प्रधानमंत्री स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू ने किया था. मौलाना आजाद लाइब्रेरी कलाकृतियों के संग्रह के लिए भी प्रसिद्ध है. विश्वविद्यालय लाइब्रेरी का नाम देश के पहले शिक्षा मंत्री के नाम मौलाना आजाद पुस्तकालय पर रखा गया था. इस लाइब्रेरी में इस्लाम- हिंदू धर्म आदि की लगभग 16117 अमूल्य पुस्तकें हैं. लगभग 8 हजार से अधिक लोग इस पुस्तकालय में रोजाना आते हैं. इसके अलावा विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लिए यह लाइब्रेरी रात 2:00 तक खुलती है.
लाइब्रेरी का खासियत
एएमयू के पीआरओ विभाग के सलाहकार ज़ीशान अहमद ने बताया कि 1400 साल पुरानी कुरान की एक लिपि यहां आज भी मौजूद है. लाइब्रेरी में अबुल फैज द्वारा भगवत गीता का फारसी अनुवाद भी है, जो अमूल्य है. इस लाइब्रेरी की यह भी एक खासियत है कि इसमें कुरान और भगवत गीता दोनों ही उपलब्ध हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी भव्यता और संग्रह देखकर तारीफ किए बिना नहीं रह सके. उनकी पहल पर इसे मिनी इंडिया की उपाधि से सुशोभित किया जा चुका है.
FIRST PUBLISHED : June 20, 2024, 16:23 IST