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Saturday, October 26, 2024

प्रियंका गांधी का प्लान फ्लॉप रहा,अब क्या अखिलेश यादव का फॉर्मुला हो जाएगा सुपरहिट?

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लखनऊ गेस्ट हाउस कांड के बाद से ही समाजवादी पार्टी की छवि महिला विरोधी पार्टी की बन गई है. साल 1995 में सरकारी गेस्ट हाउस में बीएसपी चीफ़ मायावती पर हमला हुआ था. इसका आरोप समाजवादी पार्टी पर लगा था. उस समय मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे. इस घटना के 29 बरस पूरे हो चुके हैं लेकिन समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से महिला विरोधी होने का ठप्पा नहीं हटा है.फिर मुलायम सिंह के उस विवादित बयान ने बवाल खड़ा कर दिया, ” लड़कों से गलतियां हो जाती है”. उनके इस बयान ने समाजवादी पार्टी का अब तक पीछा नहीं छोड़ा है.लेकिन अखिलेश यादव के नेतृत्व में पार्टी इस छवि को तोड़ने में जुटी है. 

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PDA के फॉर्मूले पर समाजवादी पार्टी

उत्तर प्रदेश में उपचुनाव करीब हैं. ऐसे में समाजवादी पार्टी इन दिनों PDA के फॉर्मूले पर चल रही है. जिसमें P का मतलब पिछड़ा और D का दलित है. PDA के A को अखिलेश यादव कभी अल्पसंख्यक बताते हैं तो कभी अगड़े. अखिलेश यादव कई बार इसे आधी आबादी मतलब महिलाओं से जोड़ चुके हैं. कुल मिलाकर हालात ये हैं कि अखिलेश यादव को जब जो सूट करता है उसी हिसाब से उसका मतलब बताते हैं.

उप चुनाव में सबसे ज्यादा महिला उम्मीदवार

लेकिन यूपी में होने जा रहे उप चुनाव को लेकर उन्होंने अपना एजेंडा साफ़ कर दिया है. मिल्कीपूर को छोड़ कर विधानसभा की सभी नौ सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. अखिलेश यादव ने इस बार 9 में से 4 सीटों पर महिला उम्मीदवार उतारे हैं. आंकड़ों के लिहाज़ से देखा जाए तो ये एक तिहाई से भी ज्यादा है. जबकि बीजेपी ने 8 में से सिर्फ़ 1 सीट पर महिला नेता को टिकट दिया है. 

समाजवादी पार्टी ने जिन 4 महिलाओं को टिकट दिया है, इनमें से 3 किसी न किसी नेता के परिवार के हैं. अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट से शोभावती वर्मा चुनाव लड़ रही है. वह समाजवादी पार्टी सांसद लालजी वर्मा की पत्नी हैं. इसी तरह विधायक रहे इरफ़ान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को कानपुर के सीसामऊ से उम्मीदवार बनाया गया है. पूर्व सांसद रमेश बिंद की बेटी ज्योति बिंद मिर्ज़ापुर के मंझवा सीट से चुनाव लड़ रही हैं. इन सबके लिए ये पहला चुनाव है. सबसे दिलचस्प मामला चारू कैन का है. समाजवादी पार्टी का टिकट मिलने से पहले वह कांग्रेस में थीं. क़रीब पंद्रह दिनों पहले तक वह बीएसपी में थीं. लेकिन अखिलेश यादव ने उन पर भरोसा करते हुए उन्हें खैर से टिकट दिया है. 

महिला वोट बैंक पर अखिलेश की नजर

पिछले लोकसभा चुनावों से ही अखिलेश यादव समाजिक समीकरण के लिहाज़ बदलाव की राह पर हैं. महिलाएं अब अलग तरीक़े से वोट कर रही हैं. उनका वोटिंग पैटर्न बदला है. महिला वोटरों ने कई चुनावों के नतीजे बदले हैं. नीतीश कुमार, नरेन्द्र मोदी से लेकर ममता बनर्जी, इनके बारे में कहा जाता है कि इन नेताओं ने इस ताक़त को पहचाना है. अखिलेश यादव की नज़र भी अब इस वोट बैंक पर हैं. दो साल बाद यूपी में होने वाले यूपी विधानसभा चुनावों के लिए अखिलेश अभी से इस मोर्चे पर जुट गए हैं. वैसे पिछले विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी का लड़की हूं, लड़ सकती हूं वाला फॉर्मूला नहीं चला. 

महिलाओं पर अखिलेश ने खेला दांव

पिछले लोकसभा चुनाव में अखिलेश इस मामले में लकी रहे. उन्होंने कई युवा महिला नेताओं पर दांव लगाया. इनमें से कई चुनाव जीतने में कामयाब रहे. इकरा हसन चौधरी और प्रिया सरोज ऐसे ही सांसद हैं. इसी महीने अखिलेश यादव महाराष्ट्र चुनाव प्रचार पर गए थे. इकरा हसन चौधरी हर मंच पर उनके साथ रहीं.

 इससे पहले समाजवादी पार्टी के कार्यक्रमों में अखिलेश की सांसद पत्नी डिंपल यादव ही नज़र आती थीं. MY मतलब मुस्लिम यादव समीकरण से अखिलेश यादव आगे बढ़ चुके हैं.अब वे समाजवादी पार्टी के लिए सोशल इंजीनियरिंग का नया फॉर्मूला गढ़ने में जुटे हैं.
 




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