आगरा: भारत में चाय सिर्फ एक गर्म पेय नहीं, बल्कि दिल से जुड़ी आदत है. हर सुबह की शुरुआत चाय की चुस्की से होती है. जैसे- जैसे दिन बढ़ता है, चाय बातचीत का बहाना भी बन जाती है. लेकिन आगरा के चार दोस्तों ने चाय को सिर्फ स्वाद से जोड़कर नहीं देखा, बल्कि ज्ञान से जोड़कर ‘Tea Know+Age’ नाम का एक नया स्टार्टअप शुरू किया है.
चार दोस्तों का सपना बना कैफे
तीन साल पहले अमित सक्सेना और उनके तीन दोस्तों ने मिलकर इस अनोखे चाय कैफे की नींव रखी. आज आगरा के सेक्टर 11 में यह कैफे लोगों के बीच खासा लोकप्रिय है. इस कैफे की सबसे खास बात यह है कि यहां आपको सिर्फ गर्मागर्म चाय नहीं मिलेगी, बल्कि 300 से ज्यादा किताबें भी पढ़ने को मिलेंगी, वो भी बिल्कुल मुफ्त. यानी चाय के साथ ज्ञान की चुस्की भी मिलेगी.
बस यात्रा ने बदली सोच
टी नॉलेज+ऐज की शुरुआत का विचार अचानक नहीं आया. इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है. अमित सक्सेना टूंडला के रहने वाले हैं और पहले कॉर्पोरेट क्षेत्र में काम करते थे. टूंडला से आगरा की बस यात्राओं के दौरान वो लगातार किताबें पढ़ते थे. आज तक वे 350 से ज्यादा किताबें पढ़ चुके हैं. उन्हें लगा कि अगर किताबें उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन सकती हैं, तो क्यों न चाय के बहाने लोगों को भी पढ़ने की आदत डाली जाए. इसी सोच से यह स्टार्टअप जन्मा, जिसमें ‘Tea’, ‘Knowledge’ और ‘Age’ तीनों का अनोखा संगम है.
कॉर्पोरेट से सीधे काउंटर तक
अमित और उनके दोस्त आज भी पैंट-शर्ट और चमकते जूतों में चाय परोसते हैं. लेकिन जब ग्राहक चाय की चुस्की लेते हैं और किताबों की दुनिया में खो जाते हैं, तो उनके चेहरे की संतुष्टि ही इन चारों की सबसे बड़ी कमाई बन जाती है. टीम के एक सदस्य राहुल वर्मा बताते हैं कि इस स्टार्टअप से पहले उन्होंने आगरा के कई चाय और कैफे स्टोर्स को गहराई से समझा. तमाम फ्लेवर्स को परखा, फिर खुद की टीम और अपने सर्कल में टेस्ट कर फीडबैक लिया.
हर चाय का स्वाद एक जैसा
टी नॉलेज की टीम ने खुद अपनी ट्रेनिंग तैयार की. आज की स्थिति ये है कि टीम के हर सदस्य को मेन्यू में दी गई हर चाय और आठ तरह की कॉफी बनानी आती है. चाहे मसान चाय हो, तंदूरी चाय या फिर अदरक इलायची वाली मसाला चाय हर कप का स्वाद एक जैसा होता है.
क्या है खास?
यह कैफे सिर्फ चाय पीने की जगह नहीं, बल्कि पढ़ने, सोचने और सुकून पाने की जगह है. युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक, हर वर्ग के लोग यहां आकर कुछ न कुछ सीखकर जाते हैं. ‘Tea Know+Age’ अब सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक सोच बन चुका है.