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पांचों दोस्त डिगेट्स नाम से एक मुहिम चला रहे हैं जिससे वह हर जरूरतमंद और परेशान लोगों को सेवा प्रदान करते हैं.
बरेली: वो कहते हैं ना जैसी संगत वैसी रंगत, इसी का प्रमाण प्रस्तुत करते हुए पांच दोस्त जोकि हर महीने अपने वेतन से 30 फीसदी पैसा जरूरतमंदों के लिए कपड़े, भोजन पर खर्च करते हैं. वे किशोरियों को शिक्षा और मासिक धर्म के प्रति जागरूक करते हैं. हर महीने सरकारी अस्पताल, कॉलोनी और पार्कों में पौधे गमले में लगाकर बांटते हैं. यह पांचो दोस्त डिगेट्स नाम से एक मुहिम चला रहे हैं, जिससे वह हर जरूरतमंद और परेशान लोगों को सेवा करते हैं. उनके इस मुहिम से पूरे 1500 लोग जुड़े हुए हैं जिनमें अधिकांश युवा सरकारी और गैर सरकारी सेवाओं में कार्यरत हैं और छात्र-छात्राएं भी इसका हिस्सा हैं.
नोएडा में मिले पांच दोस्तों ने बनाई डिगेट्स एनजीओ
2017 में आईटी कंपनी में काम करने वाले पांच दोस्त बरेली के वसंत विहार निवासी अज्मे हैदर, दवी शर्मा, गोपाल निवासी दिल्ली, तौसीफ निवासी गाजियाबाद और सैम साजिद निवासी अलीगढ़ की मुलाकात नोएडा में एक इवेंट के दौरान हुई. इस दौरान पांचों दोस्तों ने ठाना कि कुछ ऐसा किया जाए, जिससे दूसरों की मदद हो और आत्म संतुष्टि मिले . इसके अलावा इन सभी ने अपने नाम के पहले अक्षर को लेकर डिगेट्स नाम से एनजीओ बनाकर सबसे पहले नोएडा में जरूरतमंदों को भोजन बांटना शुरू किया. साल दर साल इस सेवा का दायरा बढ़ता रहा. डिगेट्स की टीम गली-मोहल्ले और स्कूलों में जाकर किशोरियों को एनीमिया से बचाव के साथ मासिक धर्म में होने वाली कठिनाइयों से उचित देखभाल कर कैसे बचा जा सकता है इसके प्रति जागरूक कर रही हैं. वहीं, लगातार घट रही हरियाली को लेकर हर महीने सरकारी अस्पताल, पार्क समेत कॉलोनियों में 1500- 1500 पौधे गमले में लगाकर दान कर रहे हैं.
सेवा से मिलती है आत्मसंतुष्टि
वही इस पर मुकुल हॉस्पिटल के डॉक्टर सैयद नवीन ने लोकल 18 से खास बातचीत के दौरान बताया कि समाजसेवा के लिए चलाई गई डिगेट्स नाम की यह मुहिम पांच दोस्तों ने 2014 में नोएडा से शुरू की थी और अब इनके साथ पूरे 1500 लोग जुड़े हैं जो जरूरतमंदों की सहायता करती है. उन्होंने बताया कि हमारा मानना था कि जो कमाई के पैसे हैं उसे हम पार्टी करके और मस्ती करके ना उड़ाएं. उन पैसों को लोगों की सेवा करने में लगाएंगे तो इससे आत्म संतुष्टि मिलेगी. इसके अलावा उन्होंने बताया कि पहले जब यह मुहिम शुरू की थी तब हमने कोई रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था, लेकिन रजिस्ट्रेशन कराने के बाद हम लोगों ने इसे पूरी तरह गैर लाभकारी एनजीओ स्थापित किया. शुरुआत में हमने खाना बांटना शुरू किया और करीब 2 साल से हम लोगों के स्वास्थ्य पर भी काम कर रहे हैं. जैसे, उन्हें आंखों से जुड़ी समस्याओं का इलाज देना, पित्त की थैली में पथरी हो जाना आदि के रोगों का इलाज हम स्वयं ही करते हैं. साथ ही, साथ अगर किसी को हमसे संपर्क करना है तो वह सोशल मीडिया के सहारे भी संपर्क कर सकता है.
कोविड में लोगों तक मदद पहुंचाने के लिए मुहिम चलाई
दो साल बाद जब एनजीओ का रजिस्ट्रेशन कराया तो कोविड का कहर शुरू हो गया था. पांचों दोस्त हर सप्ताह के आखिरी दिन बरेली में आकर मलिन बस्तियों, रोड किनारे अनाथालय समेत कई स्थानों पर जाकर भोजन, मास्क, कपड़े और राशन का वितरण करने लगे. साथ ही उन्होंने एक वेबसाइट बनाई है जिस पर आवेदन करने से अस्पताल में बेड और ऑक्सीजन सिलेंडर आसानी से मिल सकते हैं जिनसे जुड़ी जानकारी देने लगे. साथ ही जिसको भोजन, कपड़े, राशन आदि जरूरी वस्तुओं की आवश्यकता है. इसके लिए भी संपर्क करने के लिए कहा जा रहा था. इसका लिंक सभी सोशल प्लेटफार्म पर पेज बनाकर भेजा. तमाम लोगों ने कोविड काल में वेबसाइट के माध्यम से मदद मांगी, जिसको तुरंत पूरा किया.