नई दिल्ली. भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा सिडनी टेस्ट में नहीं खेले तो बवाल मच गया. ऐसा होना लाजमी भी था क्योंकि हिटमैन की फॉर्म को लेकर तरह-तरह की बातें कही जा रही थी. ऐसे में जब रोहित ने खुद को ही प्लेइंग-11 से बाहर कर लिया तो इस तरह की अटकलें भी लगने लगी कि 38 साल के इस सीनियर बैटर का टेस्ट करियर अब खत्म हो गया है. रोहित ने खुद संन्यास की अटकलों पर विराम लगा दिया. हालांकि साथ ही यह भी बताया कि उनके अंदर अभी रन बनाने की काफी भूख बाकी है. हिटमैन ने टीम हित में खुद को टॉप-11 से बाहर करने की बात तो मानी. साथ ही यह हिंट भी दिया कि ऐसी क्या मजबूरी आ गई कि उन्हें अपने लिए इतना कठोर निर्णय लेना पड़ा.
रोहित शर्मा ने साफ किया कि टीम इंडिया की पूरी बैटिंग इस वक्त डामाडोल है. बैटर्स के बल्ले से रन नहीं आ रहे हैं. टीम को रन बनाने के लिए जूझना पड़ रहा है. ऐसे में उनकी खुद की फॉर्म काफी ज्यादा परेशानी का सबक बनी हुई है. टीम हित में उन्हें यह निर्णय लेना पड़ा. साल 2020-21 में जब अजिंक्य रहाणे/विराट कोहली की कप्तानी में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया पहुंची थी तब चेतेश्वर पुजारा का बल्ला बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में कंगारुओं पर कहर बनकर टूटा था. तब उन्होंने 4 मैचों की आठ पारियों में 271 रन ठोके थे. ऋषभ पंत के बैट से भी पांच परियों में 274 रन आए थे. इन दोनों बैटर्स ने मिलकर ही गाबा की सरजमीं पर करीग 30 साल बाद ऑस्ट्रेलिया को मात देने में अहम भूमिका निभाई थी. खुद कोच गौतम गंभीर ने भी पुजारा को ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले टीम में मौका देने की गुजारिश की थी. हालांकि चयनकर्ताओं ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया था.
बैटिंग की कमजोरी को समझ रहे थे हिटमैन
मौजूदा दौरे की बात की जाए तो इस वक्त यशस्वी जायसवाल के अलावा कोई ऐसा बैटर नहीं है जो निरंतर रन बना पाया हो. जायसवाल पांच मैचों की 10 पारियों में 53 की औसत से 391 रन ठोक चुके हैं. नीतीश रेड्डी के बैट से एक शतक आया जरूर लेकिन इसके बाद वो निरंतर फॉर्म के लिए जूझते नजर आए. टॉप बल्लेबाजों की बात की जाए तो विराट 9 पारियों में 190 रन ही बना पाए हैं. विराट ने पहले मैच में शतक जरूर ठोका लेकिन इसके ऑस्ट्रेलियाई टीम को उनकी कमजोरी मिल गई। हार बार वो एक ही तरीके से विकेट के पीछे सस्ते में लपके गए। केएल राहुल से टीम इंडिया को उम्मीद तो बहुत थी लेकिन जब बात निरंतर रन बनाने की हो तो वो भी बार-बार रोहित शर्मा को निराश करते ही दिखे. उन्होंने 10 पारियों में 30 की औसत से 276 रन बनाए.
रोहित के पास नहीं था कोई विकल्प
चाहे केएल राहुल हों या विराट या फिर नीतीश, शुभमन व वाशिंगटन सुंदर. ये सभी बैटर इस सीरीज में कुछ-कुछ रन बनाते रहे हैं. रोहित के बैट से ऑस्ट्रेलिया दौरे पर तीन मैचों की 5 पारियों में महज 31 रन ही आए हैं. वो टीम के सबसे वीक लिंक के रूप में उभरे हैं. हिटमैन टीम के लिए सोचने वाले खिलाड़ी हैं. उन्हें पता है कि वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने के लिए सिडनी टेस्ट की क्या अहमियत है. यही वजह है कि ना चाहते हुए भी उन्होंने टीम को चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचाने के लिए खुद की बलि देना ही बेहतर समझा. अगर यह इतना हाई-स्टेक वाला मैच नहीं होता तो इस बात की संभावना बेहद कम थी कि वो खुद को ही प्लेइंग-11 से बाहर करते.
FIRST PUBLISHED : January 4, 2025, 16:58 IST